नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने विधिक माप-विज्ञान अधिनियम, 2009 के तहत उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और इसे सरल बनाने पर जोर देते हुए राज्यों को इसपर सहमति बनाने को कहा है।
गोयल ने ‘विधिक माप-विज्ञान अधिनियम, 2009 पर राष्ट्रीय कार्यशाला’ को संबोधित करते हुए कहा कि कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए माप-तौल में गड़बड़ी से संबंधित गतिविधियों को आपराधिक कृत्य की श्रेणी से बाहर लाने की जरूरत है।
इसके लिए राज्यों को आम-सहमति बनाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि संशोधित प्रारूप को सार्वजनिक विमर्श के लिए रखा जा सके। हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछ राज्य इसे अपराध की श्रेणी से बाहर करने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं एवं उद्योगों के बीच संतुलन बनाने के लिए लाए गए इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आयोजित इस कार्यशाला में कुछ राज्यों के मंत्री नहीं शामिल हुए हैं। उन्होंने इस पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि कुछ राज्य इस मुद्दे को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
इस कार्यशाला में 30 से अधिक राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं। लेकिन इनमें से मंत्रियों की संख्या सिर्फ सात-आठ ही है।
इस पर अपना नाखुशी जाहिर करते हुए गोयल ने कहा, ‘‘कृपया, अपने मंत्रियों को यह संदेश दीजिएगा कि हमने उनकी कमी महसूस की। अगर वे इस बेहद अहम पर चर्चा में शामिल हुए रहते तो हमें बहुत खुशी होती।’’
इस अधिनियम में माप-तौल से संबंधित मानक स्थितियों का उल्लेख है। इस अधिनियम का दूसरी बार उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर जुर्माने के साथ कारावास की सजा का भी प्रावधान है।
गोयल ने इसके सख्त प्रावधानों में संशोधन की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आदतन गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतनी होगी लेकिन छोटे दुकानदारों एवं बड़े कारोबारियों के लिए अलग मानक भी रखे जाने चाहिए।
भाषा
प्रेम अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.