(ललित के झा)
वाशिंगटन, 19 अप्रैल (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था में स्पष्ट तौर पर मजबूत पुनरुद्धार हुआ है। इसके साथ उन्होंने भरोसा जताया कि भारत इस दशक में मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल करेगा।
सीतारमण यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की सालाना बैठक में भाग लेने के लिये आई हैं।
वित्त मंत्री ने शोध संस्थान अटलांटिक काउंसिल के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उपस्थित अमेरिकी लोगों को बताया कि कैसे लोगों ने भारत सरकार के साथ मिलकर सफलतापूर्वक कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से उत्पन्न चुनौतियों का सामना किया और कैस वे उससे सफलतापूर्वक निपट सके।
उन्होंने कहा, ‘‘महामारी और उसके बाद पुनरुद्धार को ध्यान में रखते हुए जब हम भारत को देखते हैं…हम अपने सामने के दशक को देखते हैं….2030 एक मजबूत दशक होगा और भारत निश्चित रूप से तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।’’
सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 से पहले और उसके बाद भारत ने कई संरचनात्मक सुधार किये और उसे आगे बढ़ाने के लिये महामारी को अवसर में बदला।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने को लेकर जो कदम उठाये, वह अपने आप में अलग है। हमने मांग प्रबंधन पर आश्रित होने के बजाय आपूर्ति व्यवस्था से जुड़े सुधारों को आगे बढ़ाया।
उन्होंने महामारी से पूर्व किये गये सुधारों में जीएसटी (माल एवं सेवा कर) और डिजिटलीकरण कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन का जिक्र किया।
सीतारमण ने कहा, ‘‘…महामारी से पहले, हमने तेजी से डिजिटलीकरण को बढ़ाया और हम वित्तीय समावेश का ऐसा कार्यक्रम लाए, जो दुनिया में पहले कहीं नहीं देखा गया।’’
उन्होंने कहा कि इसी कार्यक्रम के परिणामस्वरूप ही दुनिया में तीन सबसे बड़े सार्वजनिक डिजिटल मंच सामने आए जो भारत के हैं। ये मंच हैं…आधार, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और कोविन। आधार जहां सबसे बड़ा विशिष्ट डिजिटल पहचान हैं, वहीं यूपीआई सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान परिवेश है। कोविन सबसे बड़े टीकाकरण का मंच है।
सीतारमण ने कहा कि कम लागत वाले डिजिटल कार्यक्रम से सभी आय श्रेणी में देश के नागिरकों का जीवन सुगम हुआ है।
उन्होंने कहा कि महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के साथ ही सरकार ने आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने और सुधारों को आगे बढ़ाने को लेकर कई कदम उठाये।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ साल में नरेंद्र मोदी सरकार ने संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया। इसमें पीएम-गतिशक्ति कार्यक्रम, कंपनी करों में कमी, कर भुगतान को सुगम करना, कर विवादों का समाधान, पूर्व की तिथि से कराधान को समाप्त करना, एयर इंडिया का निजीकरण, विभिन्न क्षेत्रों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन तथा श्रम कानून में सुधार शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान भारत सरकार ने बैंकों में पूंजी डालकर तथा विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाकर वृहत आर्थिक स्थिरता हासिल करने को लेकर ठोस प्रयास किये।
सीतारमण ने कहा कि सरकार पूंजी व्यय पर जोर दे रही है, जिसका मकसद वंचित तबकों को लेकर जिम्मेदारियों से आंखे बंद किये बिना वृद्धि को बढ़ावा देना है।
वित्त मंत्री ने 2022-23 के बजट में पूंजी व्यय 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.50 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह 5.54 लाख करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि महामारी से जुड़ी और अन्य अनिश्चितताएं दूर होने के साथ निजी मांग बढ़ेगी। इसके साथ सरकार ने जो सुधार किये हैं और पूंजी व्यय को बढ़ाया है, उससे निवेश में तेजी आएगी तथा रोजगार सृजन तथा आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी।
सीतारमण ने यह भी कहा कि जिंसों विशेषकर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के दाम में तेजी, वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता तथा वैश्विक वृद्धि में नरमी निकट अवधि में वृद्धि और मुद्रास्फीति के लिए जोखिम पैदा करते हैं।
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.