scorecardresearch
Friday, 10 January, 2025
होमदेशअर्थजगतबिजली इंजीनियरों के निकाय ने कहा, कोयला आयात की अतिरिक्त लागत वहन करे केंद्र

बिजली इंजीनियरों के निकाय ने कहा, कोयला आयात की अतिरिक्त लागत वहन करे केंद्र

Text Size:

नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने केंद्र सरकार द्वारा आज पुनः कोयला आयात करने के निर्देश को राज्यों पर बेजा दबाव डालने की कोशिश बताया है। एआईपीईएफ ने अपनी इस मांग को दोहराया है कि चूंकि कोयला संकट में राज्य के बिजली उत्पादन संयंत्रों का कोई दोष नहीं है अतः केंद्र सरकार को कोयला आयात के अतिरिक्त खर्च को खुद वहन करना चाहिए।

एआईपीईएफ ने एक बयान में कहा कि वर्तमान कोयला संकट बिजली, कोयला और रेलवे जैसे केंद्र सरकार के मंत्रालयों के बीच समन्वय की कमी के कारण पैदा हुआ है। इसलिए राज्यों पर कोयला आयात करने के लिए अनुचित दबाव नहीं डाला जाए।

बिजली मंत्रालय ने बुधवार को चेतावनी दी कि यदि 31 मई, 2022 तक कोयला आयात के आदेश नहीं दिए जाते हैं और आयातित ईंधन 15 जून तक बिजली संयंत्रों में पहुंचना शुरू नहीं होता है, तो चूक करने वाली बिजली उत्पादक कंपनियों को अपने आयात को 15 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा।

मंत्रालय ने स्वतंत्र बिजली उत्पादकों सहित राज्य सरकारों और बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनको) को लिखे पत्र में कहा कि इसके अलावा अगर 15 जून तक घरेलू कोयले के साथ सम्मिश्रण शुरू नहीं किया जाता है, तो संबंधित चूककर्ता ताप विद्युत संयंत्रों के घरेलू आवंटन में पांच प्रतिशत की कमी की जायेगी।

एआईपीईएफ ने कहा, ‘‘यह केंद्र सरकार द्वारा राज्यों पर अनुचित दबाव डालने का प्रयास है। कोयला संकट राज्य के बिजली उत्पादन घरों की गलती नहीं है, इसलिए कोयले के आयात की अतिरिक्त लागत केंद्र सरकार को वहन करनी चाहिए।’

एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि केंद्र द्वारा आज (बुधवार) जारी किया गया आदेश ‘‘अनुचित और जायज नहीं है।’’

उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ केंद्र यह दावा कर रहा है कि भारत में अप्रैल तक कोयले का उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक है और कोयले का कोई संकट नहीं है, दूसरी तरफ सरकार कह रही है कि बिजली घर कोयले का आयात करें। अब इस कोयला आयात कार्यक्रम को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया गया है।’

उन्होंने कहा कि राज्यों के अधिकांश ताप बिजली संयंत्र आयातित कोयले के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आयातित कोयले के सम्मिश्रण से उनके बॉयलरों में ट्यूब रिसाव बढ़ जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि कोयला संकट का मुख्य कारण रेलवे रैक की कमी को बताया जा रहा है। ऐसे में इस कोयले को कई हजार किलोमीटर दूर स्थित ताप बिजली स्टेशनों तक कैसे पहुंचाया जाएगा?

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments