श्रीनगर, 14 नवंबर (भाषा) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के लिए तैयार है लेकिन इसपर राज्यों के सहमत होने की संभावना कम है।
पुरी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी है और अगर राज्य इस दिशा में पहल करते हैं तो केंद्र भी इसके लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले से ही इसके लिए तैयार रहे हैं। यह मेरी समझ है। हालांकि, दूसरा मुद्दा इसे लागू करने के तरीके का है। उस सवाल को वित्त मंत्री के समक्ष उठाया जाना चाहिए।’’
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की लंबे समय से उठ रही मांग के बीच पेट्रोलियम मंत्री ने इस बात की आशंका जताई कि राज्यों के बीच इसपर सहमति बनने की संभावना कम ही है। उन्होंने कहा कि राज्यों के राजस्व का प्रमुख स्रोत शराब एवं पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाला कर ही होता है।
पुरी ने कहा, ‘‘यह समझना अधिक मुश्किल नहीं है कि राज्यों को इनसे राजस्व मिलता है। राजस्व पाने वाला आखिर उसे क्यों छोड़ना चाहेगा? सिर्फ केंद्र सरकार ही मुद्रास्फीति और अन्य बातों को लेकर फिक्रमंद रहती है।’’
उन्होंने केरल उच्च न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले को जीएसटी परिषद में उठाने का सुझाव दिया गया था लेकिन राज्यों के वित्त मंत्री इस पर तैयार नहीं हुए। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक जीएसटी का सवाल है तो हमारी या आपकी इच्छाएं अपनी जगह हैं, हम एक सहकारी संघीय व्यवस्था का हिस्सा हैं।’’
पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में गिरावट की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा, ‘‘मैं आपके सवाल से अचंभित हूं। पिछले एक साल में इनकी कीमतों में सबसे कम बढ़ोतरी शायद भारत में ही हुई है। मॉर्गन स्टेनली भी कह रहा है कि भारत दुनियाभर में एक सबसे बेहतर स्थिति में रहा है।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदम उठाकर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के असर से खुद को बचाये रखा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं काल्पनिक सवालों के जवाब नहीं देता लेकिन केंद्र सरकार की कोशिश यही होगी कि कीमतें स्थिर बनी रहें।’’
भाषा प्रेम
प्रेम अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.