(निखिल देशमुख)
मुंबई, 28 अप्रैल (भाषा) अगर केंद्र सरकार ने जीएसटी मुआवजे का इस साल जुलाई से आगे विस्तार नहीं किया तो महाराष्ट्र को सालाना 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
राज्य के वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम के तहत इस कानून के कार्यान्वयन के पहले पांच वर्षों में राज्यों को राजस्व के किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए द्विमासिक मुआवजे की गारंटी दी गई है।
जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई 2017 को लागू की गई थी और पांच साल की अवधि जून, 2022 में खत्म हो रही है।
कई राज्यों ने मुआवजा व्यवस्था को जून, 2022 से आगे बढ़ाने की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की है। इसके बावजूद राज्यों को अब तक कोई आश्वासन नहीं मिला है।
महाराष्ट्र कुल केंद्रीय जीएसटी में लगभग 15 प्रतिशत योगदान देता है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर केंद्र जीएसटी मुआवजा व्यवस्था को जून से आगे बढ़ाने से इनकार करता है, तो महाराष्ट्र को सालाना 30,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। केंद्र ने 2020-21 में राज्य से 46,664 करोड़ रुपये एकत्र किए, लेकिन हमें इससे सिर्फ 521 करोड़ रुपये मिले। केंद्र जुलाई तक भुगतान करता है और भुगतान में देरी से प्रशासनिक जटिलताएं पैदा होती हैं।’’
उन्होंने कहा कि राज्य को प्राकृतिक आपदा संबंधी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है, जिसके लिए केंद्रीय धन की तत्काल जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में दूसरे कामों के लिए आवंटित धन का उपयोग करना पड़ता है।
भाषा पाण्डेय अजय
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