नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) धान खेती के अधिकतम रकबे के साथ इस साल अब तक जायद (रबी और खरीफ के बीच बोई जाने वाली फसल) फसलों के बुवाई का कुल रकबा मामूली बढ़कर 60.12 लाख हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
जायद जिसे ग्रीष्मकालीन फसल भी कहा जाता है, की बुवाई फरवरी-जून के बीच की जाती है – यानी इसकी बुवाई रबी (सर्दियों) की फसल कटाई और खरीफ (मानसून) फसल की बुवाई के बीच की अवधि में की जाती है।
एक साल पहले की समान अवधि में जायद फसलों का रकबा लगभग 58.32 लाख हेक्टेयर था।
पूर्व कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘जायद फसल का रकबा अब पर्याप्त रूप से बढ़कर 60 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो इसके सरकारी तौर पर लागू होने के पहले वर्ष 2018-19 में 30 लाख हेक्टेयर था।’’
उन्होंने कहा कि इस मौसम के दौरान मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक और ओडिशा में धान बोया जाता है, जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में कम अवधि में तैयार होने वाली दलहन फसलें, विशेष रूप से मूंग और उड़द, और कुछ तिलहन फसलें भी उगाई जाती हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को सर्दी और बरसात के मौसम के बीच 90 दिनों की खाली अवधि का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से जायद फसलों को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
वर्ष 2018-19 में जायद फसलों को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम मल्होत्रा द्वारा शुरू किया गया था, जो वर्तमान में कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) में निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 18 अप्रैल तक 28.51 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह रकबा 30.38 लाख हेक्टेयर था।
दलहन का रकबा 8.90 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 12.21 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि तिलहन का रकबा उक्त अवधि में 9.85 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.18 लाख हेक्टेयर हो गया।
इस साल 18 अप्रैल तक मोटे अनाज का रकबा 9.22 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सिंचाई का विस्तार किया जाए और कुछ राज्यों में आवारा पशुओं की समस्या का समाधान किया जाए, तो जायद फसलों के तहत और रकबा आने की संभावना है।
कृषि फसलें तीन मौसमों – रबी, खरीफ और जायद में उगाई जाती हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
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