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Tuesday, 19 November, 2024
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छोटे उद्यमों में बेहतर, पर्यावरण अनूकुल उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये योजना शुरू

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नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिये अच्छे और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव (जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट- जेडईडी) वाले उत्पाद तैयार करने की गतिविधियों को बढ़ावा देने को लेकर एक प्रमाणन योजना शुरू की। केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नारायण राणे ने बृहस्पतिवार को इस प्रमाणन योजना का शुभारंभ किया।

इस पहल का मकसद इन इकाइयों को विनिर्माण से जुड़े मानकों को लागू कर गुणवत्ता में सुधार के साथ ऊर्जा उपयोग मामले में कुशल बनाना भी है।

एमएसएमई मंत्री राणे ने योजना पेश किये जाने के मौके पर कहा, ‘‘जेडईडी प्रमाणन योजना गुणवत्ता में सुधार, उत्पादन और लाभ बढ़ाने के साथ विनिर्माण के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को नियंत्रित करेगी।’’

भारतीय गुणवत्ता परिषद के महासचिव आर पी सिंह ने कहा कि जेईडी प्रमाणन व्यवस्था अपनाने से एमएसएमई क्षेत्र के लिये जरूरी विभिन्न नियमों का अनुपालन स्वत: करने लगेंगे।

योजना का पहला चरण बृहस्पतिवार को शुरू किया गया। इसमें विनिर्माण से जुड़े ज्यादा-से-ज्यादा एमएसएमई को जोड़ने पर जोर होगा।

वहीं दूसरे चरण में सेवा क्षेत्र में काम करने वाले एमएसएमई को जोड़ा जाएगा। साथ ही विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में काम करने वाले उन लघु उद्यमों को एकीकृत करने का प्रयास किया जाएगा जो राज्य सरकार की व्यवसथा के तहत पंजीकृत हैं।

इस योजना में कांस्य, रजत और स्वर्ण सहित प्रमाणन के तीन स्तर हैं। एमएसएमई किसी भी प्रमाणन स्तर के लिए आवेदन कर सकते हैं लेकिन उन्हें इसके लिये निर्धारित मानदंडों को पूरा करना होगा।

एमएसएमई को जेडईडी प्रमाणन व्यवस्था की लागत को लेकर सब्सिडी मिलेगी। सब्सिडी राशि सूक्ष्म उद्यमों के लिये 80 प्रतिशत जबकि लघु एवं मझोली इकाइयों के लिये क्रमश: 60 प्रतिशत और 50 प्रतिशत होगी।

इसके अलावा महिला, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमियों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी।

साथ ही उन एमएसएमई के लिये पांच प्रतिशत की अतिरिक्त सब्सिडी होगी जो मंत्रालय के स्फूर्ति या सूक्ष्म और लघु उद्यम – संकुल विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) का भी हिस्सा हैं। इसके अलावा जेडईडी संकल्प लेने के बाद प्रत्येक एमएसएमई को प्रोत्साहन के तहत 10,000 रुपये की पेशकश भी की जाएगी।

बेहतर गुणवत्ता और पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं डालने वाले समाधान यानी ‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ व्यवस्था को अपनाने में सहायता के लिये जेडईडी प्रमाणन व्यवस्था के तहत एमएसएमई के लिये सहायता और परामर्श हेतु प्रति इकाई पांच लाख रुपये तक उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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