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Friday, 4 October, 2024
होमदेशअर्थजगतएकतीस पैसे के बकाये पर ‘नो-ड्यूज’ नहीं देने को ज्यादा ही तूल दिया गयाः उच्च न्यायालय

एकतीस पैसे के बकाये पर ‘नो-ड्यूज’ नहीं देने को ज्यादा ही तूल दिया गयाः उच्च न्यायालय

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अहमदाबाद, पांच मई (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि महज 31 पैसे का भुगतान नहीं होने पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की तरफ से बकाया नहीं होने का प्रमाणपत्र देने से इनकार करने के मामले को ‘यूट्यूब के कारण अनावश्यक रूप से बढ़ा-चढ़ाकर’ पेश किया गया है।

यह मामला बैंक से तीन लाख रुपये का कर्ज लेने वाले सात व्यक्तियों से संबंधित है। इस कर्ज के एवज में जमीन के एक टुकड़े की जमानत दी गई थी। लेकिन कर्जदारों ने बाद में वह जमीन दो अन्य लोगों को बेच दी।

हालांकि राजस्व अधिकारियों ने इस कर्ज के बारे में बैंक से ‘नो-ड्यूज’ (कोई बकाया नहीं) प्रमाण पत्र नहीं मिलने का हवाला देते हुए खरीदारों को जमीन के मालिकाना हक में बदलाव की मंजूरी नहीं दी। इसके बाद खरीदारों ने अदालत का रुख किया।

महज 31 पैसे का भुगतान नहीं होने पर बैंक का ‘नो-ड्यूज’ प्रमाण पत्र देने से इनकार करना सोशल मीडिया पर खासी चर्चा का मुद्दा बन गया।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भार्गव डी करिया ने खरीदारों की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, ‘यूट्यूब के कारण इस मामले को यूं ही इतना उछाल दिया गया है। बहरहाल जो भी हो, आप खरीदारों के नाम पर नो-ड्यूज प्रमाणपत्र जारी कर सकते थे।’

एसबीआई ने अदालत में पेश अपने हलफनामे में कहा है कि उसने कर्जदारों की तरफ से भेजे गए पत्रों के कारण पैदा हुए भ्रम के कारण ‘नो-ड्यूज’ प्रमाणपत्र नहीं जारी किया। एसबीआई के मुताबिक, इन पत्रों में कर्जदारों ने कहा था कि उनके अलावा किसी से भी बकाया राशि न ली जाए।

बैंक ने गत दो मई को न्यायालय को सूचित किया कि इस भूमि सौदे के संबंध में 28 अप्रैल को कर्जदारों को बकाया राशि नहीं होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है।

इस पर न्यायालय ने कहा कि अब इस याचिका का वापस लिए जाने के रूप में निपटान किया जाता है।

भाषा प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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