नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मंगलवार को कहा कि वह भविष्य निधि में विदेशी श्रमिकों को शामिल करने को ‘असंवैधानिक’ ठहराने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के संबंध में आगे की कार्रवाई पर गौर कर रहा है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्मचारी भविष्य निधि और पेंशन योजना के दायरे में अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों को शामिल करने के प्रावधानों को खारिज कर दिया है। उसने कहा है कि यह ‘असंवैधानिक’ और ‘मनमाना’ है।
ईपीएफओ ने फैसले से संबंधित सवालों के जवाब में कहा, ‘‘न्यायालय के फैसले के प्रति सर्वोच्च सम्मान रखते हुए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन इस फैसले के जवाब में आगे की कार्रवाई के तरीकों पर सक्रियता के साथ विचार कर रहा है।’’
यह निर्णय कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 के पैराग्राफ 83 और कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के पैराग्राफ 43ए में उल्लेखित अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों के लिए विशिष्ट प्रावधानों से जुड़ा है। इन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 के साथ असंगत माना गया।
कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 का पैराग्राफ 83 अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों के संबंध में विशेष प्रावधानों से संबंधित है।
इस उपबंध के तहत एक अक्टूबर, 2008 से प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी जिसका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये प्रति माह तक है, वे अनिवार्य रूप से इस योजना के दायरे में आएंगे।
भारत का वर्तमान में 21 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता है। ये समझौते पारस्परिक आधार पर इन देशों के कर्मचारियों के लिए निरंतर सामाजिक सुरक्षा दायरा सुनिश्चित करते हैं।
ईपीएफओ ने कहा कि जब इन देशों के नागरिक एक-दूसरे के क्षेत्रों में नौकरी करते हैं, तो उनकी सामाजिक सुरक्षा बनी रहती है।
देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौते भारत सरकार के अन्य देशों के साथ किये गये सरकार के स्तर पर समझौते हैं।
इन समझौतों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय रोजगार के दौरान कर्मचारियों की निर्बाध सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने की गारंटी देना है।
ईपीएफओ के अनुसार, समझौतों को अनिवार्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
उसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को बढ़ावा देने और जनसांख्या संबंधी लाभांश का लाभ उठाने के लिए ये समझौते भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
ईपीएफओ ऐसे सामाजिक सुरक्षा समझौतों के लिए भारत में परिचालन एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
भाषा रमण अजय
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