नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) करीब 40 प्रतिशत रियल एस्टेट डेवलपर्स को लगता है कि अगर सरकार ने राहत देने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए तो इस्पात और सीमेंट जैसे कच्चे माल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के कारण वे अपनी परियोजनाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे।
रियल एस्टेट क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘राष्ट्रीय मूल्यवृद्धि प्रभाव अध्ययन 2022’ है।
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि लागत बढ़ने से घरों की कीमतों में 5-8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इसमें 5-7 प्रतिशत बढ़ोतरी और होने का अनुमान है। इस तरह कुल लागत करीब 10-15 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी।
यह सर्वेक्षण 29 मार्च से 11 अप्रैल के बीच किया गया और इसमें 1,849 लोगों की राय ली गई।
सर्वेक्षण के मुताबिक, 39 प्रतिशत बिल्डरों ने कहा कि अगर राहत देने के लिए तत्काल कोई उपाय नहीं किया गया, तो वे परियोजना को समय पर पूरा नहीं कर पाएंगे।
दूसरी ओर 76 प्रतिशत डेवलपर ने कहा कि अगर कच्चे माल के दाम वर्तमान स्तर से कम नहीं हुए तो वे अपनी परियोजनाओं को छह महीने तक ही जारी रख पाएंगे।
पटोदिया ने कहा कि यह काफी चिंताजनक परिदृश्य है और इस मूल्यवृद्धि से किफायती आवास खंड सबसे अधिक प्रभावित होगा।
क्रेडाई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि मुंबई में घरों के दाम पहले ही 5-8 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं।
भाषा पाण्डेय अजय
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