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Saturday, 11 January, 2025
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इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क वृद्धि से पीएलआई योजना के तहत परियोजनाएं प्रभावित होंगी : आईएसए

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क से निवेशकों को नकारात्मक संदेश जाएगा और इससे उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत क्षमता विस्तार परियोजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस्पात उद्योग ने यह बात कही है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने स्थानीय स्तर पर कीमतों को काबू में लाने के लिए कच्चे माल पर सीमा शुल्क समाप्त कर दिया है और निर्यात शुल्क बढ़ा दिया है।

सरकार ने शनिवार को कुछ कच्चे माल पर सीमा शुल्क समाप्त करने की घोषणा की। इसमें कोकिंग कोयला और फेरोनिकल शामिल है। इनका इस्तेमाल इस्पात उद्योग द्वारा किया जाता है। इस कदम से घरेलू इस्पात उद्योग के लिए लागत घटेगी और कीमतें नीचे आएंगी।

इसके अलावा घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क 50 प्रतिशत बढ़ाया गया है। वहीं कुछ अन्य इस्पात के मध्यवर्ती सामान पर इसमें 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

इस्पात कंपनियों के संगठन भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) ने कहा कि उद्योग कोकिंग कोयले और कुछ अन्य कच्चे माल पर आयात शुल्क समाप्त करने का स्वागत करता है।

आईएसए ने कहा, ‘‘हालांकि, इस्पात पर निर्यात शुल्क बढ़ने से क्षेत्र के निवेशकों को गलत संदेश जाएगा और इससे क्षेत्र की क्षमता इस्तेमाल की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। भारत पिछले दो साल से अपना इंजीनियरिंग और इस्पात निर्यात बढ़ा रहा है और उसमें बड़ी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने की क्षमता है।’’

संघ ने कहा, ‘‘इस कदम से भारत निर्यात के अवसर गंवाएगा। इस फैसले से देश की कुल आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा।’’

आईएसए ने कहा, ‘‘निर्यात शुल्क की वजह से अन्य देशों को भारत के स्थान पर वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी। वहीं एक भरोसेमंद निर्यात के रूप में भी भारत की छवि को नुकसान पहुंचेगा।’’

भाषा अजय

अजय प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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