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Monday, 20 May, 2024
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अदालत का एनबीसीसी को घर खरीदार को ब्याज के साथ 76 लाख रुपये लौटाने का निर्देश

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नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनबीसीसी को एक घर खरीदार को ब्याज सहित 76 लाख रुपये से अधिक राशि वापस करने के लिए कहा है। साथ ही याचिकाकर्ता को हुई ‘मानसिक पीड़ा’ के लिए पांच लाख रुपये हर्जाना देने का भी निर्देश दिया।

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के मकान खरीदार को 2012 में खरीदे गए फ्लैट का कब्जा देने में विफल रहने पर अदालत ने यह कदम उठाया।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने एनबीसीसी के खिलाफ घर खरीदार की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि घर खरीदना किसी व्यक्ति या परिवार का अपने जीवनकाल में किए गए सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है। इसमें अक्सर वर्षों की बचत, सावधानीपूर्वक योजना और भावनात्मक निवेश शामिल होता है। इसीलिए गड़बड़ी होने पर घर खरीदने वालों को क्षतिपूर्ति देना पिछली गड़बड़ी को सुधारने के साथ भविष्य इस तरह की चीजों को रोकने का भी मामला है।

याचिका दायर करने वाले एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी ने कहा कि उसने 2012 में गुरुग्राम के लिए शुरू की गई परियोजना ‘एनबीसीसी ग्रीन व्यू अपार्टमेंट’ में फ्लैट खरीदा था। लेकिन 2017 में 76 लाख रुपये से अधिक की पूरी बिक्री कीमत का भुगतान करने के बावजूद उन्हें फ्लैट नहीं मिला।

अदालत ने आठ मई को पारित आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को पिछले 10 साल से उसके पैसे से वंचित किया गया है और ‘संरचनात्मक रूप से दोषपूर्ण घरों’ का निर्माण किया गया, जिससे परियोजना पूरी तरह से अधर में लटक गयी। एनबीसीसी ने राशि पर ब्याज का भुगतान करने और याचिकाकर्ता के पुनर्वास को लेकर अनिच्छा जतायी। ऐसे में जरूरी है कि कंपनी से कठोरता से निपटा जाए।

अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए, यह अदालत तत्काल रिट याचिका की अनुमति देने को इच्छुक है। प्रतिवादी (एनबीसीसी) को निर्देश दिया जाता है कि वह भुगतान की गई पूरी राशि आज से छह सप्ताह की अवधि के भीतर 30 जनवरी, 2021 से अबतक 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करे।’’

आदेश के अनुसार इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता को पिछले सात साल में आवास बदलने पड़े और काफी मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है, ऐसे में यह अदालत एनबीसीसी को याचिकाकर्ता को हर्जाने के रूप में पांच लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश देती है।

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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