नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने बांस के चारकोल पर ‘निर्यात प्रतिबंध’ हटा लिया है। इस कदम से घरेलू बांस उद्योग को कच्चे बांस के अधिकतम उपयोग करने और अधिक मुनाफा हासिल करने की सुविधा मिलेगी।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘वैध स्रोतों से प्राप्त बांस से बने चारकोल को निर्यात के लिए अनुमति दी जाती है, बशर्ते कि दस्तावेजों और कागजातों से यह साबित होता हो कि लकड़ी का कोयला बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला बांस वैध स्रोतों से प्राप्त किया गया है।’’
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है, लगातार केंद्र से बांस चारकोल पर निर्यात प्रतिबंध हटाने का अनुरोध कर रहा था।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर बांस उद्योग के बड़े लाभ के लिए बांस चारकोल पर निर्यात प्रतिबंध हटाने की मांग की थी।
सक्सेना ने इस निर्णय के बाद कहा, ‘‘बांस के चारकोल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है और सरकार द्वारा निर्यात प्रतिबंध को हटाने से भारतीय बांस उद्योग इस अवसर का लाभ उठाने और विशाल वैश्विक मांग का फायदा उठाने में सक्षम होगा। इससे बांस के कचरे का अधिकतम उपयोग भी सुनिश्चित होगा और इस तरह बेकार कचड़े से संपदा निर्माण के प्रधानमंत्री के विजन में योगदान भी होगा।’’
मौजूदा समय में घरेलू बांस उद्योग, बांस के अपर्याप्त उपयोग और अत्यधिक लागत की स्थिति से जूझ रहा है।
भारत में, बांस का उपयोग ज्यादातर अगरबत्ती के निर्माण में किया जाता है, जिसमें अधिकतम 16 प्रतिशत बांस छड़ें बनाने के लिए उपयोग किया जाता है जबकि शेष 84 प्रतिशत बांस बेकार हो जाता है। नतीजतन, गोल बांस की छड़ों के लिए लागत 25,000 रुपये से 40,000 रुपये प्रति टन की सीमा में है, जबकि बांस की औसत लागत 4,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति टन है।
हालांकि, बांस चारकोल का निर्यात बांस के कचरे का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करेगा और इस प्रकार व्यवसाय को अधिक लाभदायक बना देगा।
इससे पहले, बांस आधारित उद्योगों, विशेष रूप से अगरबत्ती उद्योग में अधिक रोजगार पैदा करने के लिए, केवीआईसी ने वर्ष 2019 में केंद्र सरकार से कच्ची अगरबत्ती के आयात और बांस तिनकों पर आयात शुल्क के संदर्भ में नीतिगत बदलाव का अनुरोध किया था। अगरबत्ती उद्योग के लिए बांस के तिनकों का वियतनाम और चीन से भारी आयात किया जा रहा था।
इसके बाद सितंबर 2019 में वाणिज्य मंत्रालय ने कच्ची अगरबत्ती के आयात पर ‘‘प्रतिबंध’’ लगा दिया और जून 2020 में वित्त मंत्रालय ने गोल बांस के तिनके पर आयात शुल्क बढ़ा दिया।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
पाण्डेय
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