मुंबई, पांच मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत ब्याज दर में अचानक वृद्धि करने से बैंकों में 11 फीसदी दर से बढ़ रही ऋण वृद्धि पर थोड़ा असर पड़ने की आशंका है।
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि ऋण वृद्धि में तेजी का समर्थन करने वाले उद्योग और सेवा क्षेत्रों से आने वाली मांग का हिस्सा बने रहेंगे जबकि कृषि क्षेत्र में ऋण वृद्धि के स्थिर रहने और खुदरा क्षेत्र में कम होने का अनुमान है।
रिपोर्ट कहती है कि मध्यम-अवधि में मुद्रास्फीति के दबाव, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और खपत मांग में कमी ऋण वृद्धि में देखे जा रहे सुधार को बाधित कर सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि कर ब्याज दर के चक्र में बदलाव के संकेत दे दिए हैं। इससे उधार लेना महंगा हो जाएगा जिसका असर ऋण वृद्धि में कमी के रूप में पड़ेगा।”
एजेंसी ने कहा कि कंपनियों से मिली प्रतिक्रिया पूंजीगत व्यय योजनाओं में देरी की ओर इशारा करती है। इसकी वजह यह है कि उन्हें व्यापक आर्थिक मोर्चे पर अधिक स्पष्टता का इंतजार है।
इसने कहा कि बैंकों में ऋण वृद्धि में वित्त वर्ष 2022-23 के शुरुआती हिस्से में 11.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि वर्ष 2020-21 की समान अवधि में यह 5.3 प्रतिशत रहा था। जुलाई 2019 के बाद यह सबसे ऊंचा स्तर है।
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, कोविड महामारी की दूसरी लहर ने वर्ष 2021 में ऋण परिदृश्य को काफी प्रभावित किया था, वहीं 2022 की शुरुआत में परिदृश्य काफी हद तक सामान्य हो गया था।
हालांकि इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि अल्पावधि में जिंसों के दाम ऊंचे होने, कार्यशील पूंजी के लिए कंपनियों से मांग आने और बढ़ती ब्याज दरों के बीच बांड बाजार से पैसा बैंकों में वापस आने से ऋण वृदधि बनी रहने की उम्मीद है।
भाषा प्रेम रमण
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