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Saturday, 16 November, 2024
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भारत में संयुक्त उपक्रमों की संभावनाएं तलाश रही हैं रूसी सॉफ्टवेयर कंपनियां: रुसॉफ्ट प्रमुख

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कोलकाता, 23 अप्रैल (भाषा) रूस की 250 से अधिक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के संगठन रुसॉफ्ट ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर अमेरिका और यूरोप के साथ व्यापार प्रभावित होने के बाद अनेक रूसी सॉफ्टवेयर कंपनियां भारत तथा अन्य ब्रिक्स देशों में संयुक्त उपक्रमों की संभावनाएं तलाश रही हैं।

सेंट पीटर्सबर्ग से संचालित रुसॉफ्ट के अध्यक्ष वेंलेंतिन माकारोव ने कहा है कि रूस की करीब पांच-छह कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल ने हाल में यहां ‘बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट’ (बीजीबीएस) में भाग लिया था और कई भारतीय कंपनियों के साथ बैठकें की थी।

माकारोव ने इस सम्मेलन से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘रूसी सॉफ्टवेयर कंपनियां ब्रिक्स देशों में संयुक्त उपक्रम स्थापित करना चाहती हैं और रूस के प्रौद्योगिकी संबंधी लक्ष्यों के निर्धारण और प्राप्ति के लिहाज से भारत सबसे उपयुक्त साझेदार लगता है।’’

उन्होंने कहा कि रूस की कुल 267 सॉफ्टवेयर कंपनियां रुसॉफ्ट की सदस्य हैं। इस संगठन का गठन वर्ष 1999 में केवल 10 कंपनियों के संघ के रूप में किया गया था। माकारोव के अनुसार रुसॉफ्ट की सदस्य सात कंपनियां भारत में ‘स्थायी साझेदार’ हैं।

माकारोव ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, डेल और एचपी जैसी बड़ी आईटी कंपनियों के रूस में विकास केंद्र हैं और इनमें से कुछ ने यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद रूस में स्थित अपने केंद्र बंद कर दिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिन में हमारे प्रतिनिधिमंडल ने कई भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है और 19 कंपनियों ने संयुक्त उपक्रम में रुचि दिखाई है। हालांकि बातचीत को अभी अंतिम रूप दिया जाना है। हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), औद्योगिक उत्पादन की स्वचालित प्रणाली, साइबर सुरक्षा, टेलीमेडिसिन और डिजिटल शासन जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान कर सकते हैं।’’

रुसॉफ्ट के प्रतिनिधिमंडल और भारतीय कंपनियों के बीच बैठकों का आयोजन बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स के सहयोग से हुआ।

भाषा

मानसी प्रेम

प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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