नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को आम्रपाली समूह की कंपनियों से मासिक किस्त मोहलत योजना के तहत मकान खरीदने वाले हजारों लोगों को राहत दी। न्यायालय ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे ऐसे घर खरीदारों के खातों को गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) खाता या फंसे खाते की श्रेणी में नहीं रखेंगे और न ही मासिक किस्त (ईएमआई) के भुगतान में चूक पर जुर्माना लगाएंगे।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंक मूल राशि और उस पर ब्याज के हकदार होंगे।
मासिक किस्त मोहलत योजना एक कानूनी समझौता है। यह समझौता मकान खरीदार, संपत्ति विकसित करने वाली कंपनियों और आवास ऋण देने वाले बैंकों के बीच होता है। इस योजना के तहत खरीदार को ईएमआई के रूप में कोई भी राशि देने की तबतक जरूरत नहीं होती, जबतक परियोजना पूरी नहीं हो जाती और मकान खरीदार को फ्लैट नहीं मिल जाता।
करीब दस हजार मकान खरीदारों ने मासिक किस्त मोहलत योजना का लाभ लिया था। लेकिन आम्रपाली समूह की कंपनियों के परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में चूक के कारण खरीदारों के ऊपर कर्ज के एवज में ईएमआई का बोझ डाला गया जबकि उन्हें फ्लैट पर कब्जा भी नहीं मिला।
न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी ने कहा, ‘‘तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, हमारा मानना है कि फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा तभी होगी, जब उन चूककर्ता मकान खरीदारों के खातों को एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा और न ही ‘सिबिल स्कोर’ को शून्य स्तर पर रखा जाएगा।’’
पीठ ने कहा कि कोई भी बैंक फ्लैट खरीदारों की तरफ से चूक के एवज में जुर्माना नहीं लगाएगा। हालांकि, बैंक मूल राशि और उसपर ब्याज के हकदार हैं।
न्यायालय ने कहा कि मकान खरीदारों की देनदारी उस समय से शुरू होगी जब फ्लैट का अधिकार उन्हें दिया जाता है और उस समय वे अपनी देनदारी निभाएंगे। उस समय मकान खरीदार अगर देनदारी को पूरा नहीं करते तो बैंक उपयुक्त कार्रवाई कर सकते हैं।
भाषा
रमण अजय
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