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Tuesday, 19 November, 2024
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जेनको के भारी बकाया की वजह से कोयले का भंडार नहीं बना सके महाराष्ट्र, राजस्थान, प. बंगाल

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नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) के 7,918 करोड़ रुपये के भारी बकाया के कारण कई राज्यों विशेषरूप से महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल को कोयले की आपूर्ति कम हुई है। एक अधिकारिक नोट में यह जानकारी दी गई है।

कोयले की कमी की वजह से देश के कई हिस्से गंभीर बिजली संकट से जूझ रहे हैं।

बिजली आपूर्ति की स्थिति पर कैबिनेट सचिव को हाल भेजे गए नोट में कहा गया है कि बिजली उत्पादक कंपनियों का कुल बकाया 7,918 करोड़ रुपये है। इससे चलते पिछले कई महीनों में राज्यों को कम कोयले की आपूर्ति हुई है। भारी-भरकम बकाये की वजह से महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल अपना कोयला भंडार नहीं बढ़ा पाए हैं।

नोट में कहा गया है कि उत्तराखंड, गुजरात और दिल्ली ने अपने गैस आधारित संयंत्रों के साथ अग्रिम व्यवस्था नहीं की है, जिससे लगभग 4,000 मेगावॉट क्षमता प्रभावित हुई और घरेलू कोयले पर अधिक दबाव पड़ा है।

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की रिपोर्ट के अनुसार, कोल इंडिया लिमिटेड और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) के साथ जुड़े बिजली संयंत्रों के पास 28 अप्रैल को नौ दिनों का कोयला स्टॉक था।

कोल इंडिया ने सोमवार यानी दो मई को कहा था कि बिजली क्षेत्र को उसकी कोयला आपूर्ति अप्रैल, 2022 में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 15.6 प्रतिशत तक बढ़ी है।

कोल इंडिया ने इसके साथ ही कहा था कि वह आने वाले महीनों में विशेष रूप से बिजली संयंत्रों के लिए आपूर्ति बढ़ाने की योजना बना रही है।

कोयला सचिव ए के जैन ने कहा था कि बिजली संयंत्रों में कम कोयले के भंडारण के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इनमें कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था में तेज पुनरुद्धार के कारण बिजली की मांग बढ़ना, गर्मियों जल्दी आने, गैस और आयातित कोयले की कीमतों में वृद्धि और तटीय ताप बिजली संयंत्रों के बिजली उत्पादन में भारी गिरावट शामिल हैं।

भाषा रिया रिया अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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