शिमला, 16 अप्रैल (भाषा) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि विभिन्न जलविद्युत संयंत्रों से पैदा होने वाली बिजली के वितरण में राज्य का हिस्सा बढ़ाया जाए।
सुक्खू ने केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार से काजा में मुलाकात की और कई मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान सुक्खू ने राज्य सरकार और एसजेवीएनएल के बीच जलविद्युत परियोजनाओं- 210 मेगावाट की लुहरी-1, 172-मेगावाट की लुहरी-2, 382-मेगावाट सुन्नी और 66-मेगावाट के लिए हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर चिंता जताई।
यहां जारी बयान के मुताबिक, सुक्खू ने कहा कि इन परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश को की गई बिजली हिस्सेदारी की पेशकश अनुचित है और उन्होंने केंद्र सरकार से समझौतों की फिर से जांच करने का आग्रह किया। वर्तमान में हिस्सेदारी 12 फीसदी है।
बयान के अनुसार, सुक्खू ने इन बिजली परियोजनाओं का स्वामित्व हिमाचल प्रदेश को हस्तांतरित करने के लिए 75 वर्षों की एक निश्चित समय सीमा तय करने का भी आह्वान किया क्योंकि 2019 के बाद परियोजनाओं के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों की समय सीमा 70 वर्ष है।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न बिजली परियोजनाओं में राज्य के हिस्से में बढ़ोतरी के बारे में भी चिंता जताई। उन्होंने आग्रह किया कि राज्य को बीबीएमबी, एसजेवीएनएल और एनजेपीसी जैसी पहले ही अपनी लागत वसूल कर चुकी कंपनियों से जलविद्युत परियोजनाओं में 40 प्रतिशत हिस्सा मिलना चाहिए।
भाषा अनुराग प्रेम
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