नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) टाटा समूह की कंपनी एयर इंडिया के लिये द्विपक्षीय अधिकारों से जुड़ी तरजीही पहुंच सुविधा अब खत्म हो गयी है। यह दूसरे देशों में उड़ानों के परिचालन के लिये जरूरी है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एक परिपत्र से यह पता चला है।
एयर इंडिया के लिये द्विपक्षीय अधिकारों तक तरजीही पहुंच थी। यह पहुंच दो देशों के बीच हवाई सेवा समझौतों के तहत दी जाती थी क्योंकि यह सरकारी एयरलाइन थी।
हालांकि, टाटा समूह ने पिछले साल आठ अक्टूबर को बोली जीतने के बाद 27 जनवरी को एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लिया।
डीजीसीए के पहले के परिपत्र के उपबंध 3.6 में कहा गया था, ‘‘अन्य पात्र आवेदकों को यातायात अधिकार आवंटित करने से पहले एयर इंडिया लिमिटेड की परिचालन योजनाओं पर समुचित विचार किया जाएगा।’’
डीजीसीए के 19 अप्रैल को जारी नये परिपत्र में इस उपबंध को हटा दिया गया।
नये परिपत्र में कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार अपने विवेक के आधार पर किसी भी हवाई परिवहन सेवा देने वाली कंपनी को इस तरह के संचालन को लेकर तैयारी, किसी विशेष मार्ग पर संचालन की व्यवहारिकता, नागर विमानन क्षेत्र के समग्र हितों आदि के संबंध में यातायात अधिकारों के आवंटन से इनकार कर सकती है।’’
किसी एक देश की एयरलाइन को दूसरे देश के लिये अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करने को लेकर, दोनों पक्षों को एक द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते पर बातचीत और हस्ताक्षर करना होता है। इसके तहत यह तय किया जाता है कि एक देश से दूसरे देश के लिये उड़ान भरते समय प्रति सप्ताह कितनी उड़ानों (या सीटों) की अनुमति दी जा सकती है।
यह समझौता होने के बाद प्रत्येक देश द्विपक्षीय अधिकारों को संबंधित विमानन कंपनियों को आवंटित करने को स्वतंत्र होते हैं।
एयरलाइन को इस प्रकार के उड़ान अधिकारों के आवंटन के बाद भी उसके पास उड़ान परिचालन शुरू करने को लेकर दोनों हवाईअड्डों पर ‘स्लॉट’ होने चाहिए।
‘स्लॉट’ से आशय तारीख और समय से है, जिसपर संबंधित एयरलाइन की उड़ानों को हवाईअड्डे पर प्रस्थान या आगमन की अनुमति होती है।
समिति ‘स्लॉट’ का आवंटन करती है। समिति में डीजीसीए के अधिकारी, हवाईअड्डा परिचालक और एयरलाइंस के प्रतिनिधि समेत अन्य शामिल होते हैं।
भाषा
रमण अजय
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