नयी दिल्ली, 11 मई (भाषा) सत्तर के दशक के बाद सबसे गंभीर ऊर्जा संकट से गुजर रही दुनिया में पर्यावरणीय स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा सामर्थ्य की चुनौतियों से निपटने के लिए निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों को तत्काल कदम उठाने होंगे।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक अध्ययन रिपोर्ट में यह अपील की गई है। इसमें कहा गया है कि हाल में बढ़ी ईंधन कीमतों को देखते हुए ऊर्जा में परिवर्तन की रफ्तार को काफी तेज करने की जरूरत है।
‘प्रभावी ऊर्जा परिवर्तन को संवर्धन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, देशों के लिए एक समग्र ऊर्जा बदलाव को तेज करने की फौरी जरूरत बढ़ गई है। ईंधन की कीमतें बढ़ने, जिंसों की किल्लत, जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को हासिल करने में सुस्ती और ऊर्जा पहुंच की धीमी प्रगति से ऐसा हुआ है।
इस रिपोर्ट में सरकारों, कंपनियों, उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों के लिए भी कुछ अनुशंसाएं की गई हैं। इसके मुताबिक, ‘‘ऊर्जा बाजार की अस्थिरता से निपटने के लिए लचीला ऊर्जा परिवर्तन और ऊर्जा मिश्रण के विविधीकरण को प्राथमिकता देना अहम है।’’
रिपोर्ट कहती है कि स्वच्छ ऊर्जा की मांग एवं आपूर्ति की तरफ तेजी से कदम बढ़ाने के लिए अधिक देशों को बाध्यकारी जलवायु प्रतिबद्धताएं करने की जरूरत है। घरेलू एवं क्षेत्रीय ऊर्जा प्रणालियों के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण पैदा करने और कार्बन-मुक्त परियोजनाओं के लिए निजी निवेशकों को जुटाने पर भी जोर दिया गया है।
डब्ल्यूईएफ के ऊर्जा, सामग्री एवं बुनियादी ढांचा प्रमुख रॉबर्टो बोचा ने कहा, ‘‘देशों को ऊर्जा आपूर्ति शृंखला बाधित करने वाली घटनाओं का खतरा है। यह ऐसे समय में है जब जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे परिणामों को रोकने वाली सुविधा तेजी से बंद हो रही है।’’
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प्रेम अजय
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