नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग ने शुक्रवार को आदेश दिया कि पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी का सिंबल ‘तीर और कमान’ एकनाथ शिंदे गुट के पास कायम रहेगा.
गौरतलब है कि, शिवसेना के दोनों गुट (एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे) पिछले साल ठाकरे के खिलाफ शिंदे (वर्तमान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री) के विद्रोह के बाद से पार्टी के धनुष और तीर के निशान के लिए लड़ रहे हैं.
आयोग ने पाया कि शिवसेना पार्टी का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त किया गया था.
The Election Commission of India today ordered that the party name “Shiv Sena” and the party symbol “Bow and Arrow” will be retained by the Eknath Shinde faction. pic.twitter.com/cyzIZCm8sh
— ANI (@ANI) February 17, 2023
ईसीआई ने कहा, ‘2018 में संशोधित एसएस का संविधान ईसीआई को नहीं दिया गया है. संशोधन ने 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के कार्य को पूर्ववत कर दिया था, जिसे आयोग के आग्रह पर स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे द्वारा लाया गया था.’
राजनीतिक दलों और उनके आचरण पर दूरगामी प्रभाव वाले एक ऐतिहासिक फैसले में, ईसीआई ने सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी कि वे लोकतांत्रिक लोकाचार और आंतरिक पार्टी लोकतंत्र के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करें और नियमित रूप से अपनी संबंधित वेबसाइटों पर अपनी आंतरिक पार्टी के कामकाज के पहलुओं का खुलासा करें, जैसे संगठनात्मक विवरण, चुनाव कराना, संविधान की प्रति और पदाधिकारियों की सूची.
ईसीआई ने कहा कि राजनीतिक दलों के संविधान में पदाधिकारियों के पदों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव और आंतरिक विवादों के समाधान के लिए एक और स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया बनानी चाहिए. इन प्रक्रियाओं में संशोधन करना मुश्किल होना चाहिए.
ईसीआई ने पाया कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिसे 1999 में आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, को गुप्त तरीके से वापस लाया गया है, जिससे पार्टी एक जागीर के समान हो गई है.
राष्ट्रीय कार्यकर्तािणी एक ऐसा निकाय है जो बड़े पैमाने पर ‘नियुक्त’ प्रतिनिधि सभा द्वारा ‘निर्वाचित’ होता है. आयोग ने मसौदे पर वर्ष 1999 में शिवसेना को अवगत कराया था.
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