नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा राजनीतिक विज्ञापनों में ‘असत्यापित’ दावों के संबंध में शिकायतों के बाद भारतीय निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को प्रिंट में कोई भी विज्ञापन प्रकाशित करने से पहले मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति (एमसीएमसी) से ‘मंजूरी’ लेने के लिए कहा है. आयोग का फैसला चुनाव से दो दिन पहले आया है.
आयोग ने कहा, ‘कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार या कोई अन्य संगठन या व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान के दिन से एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई भी विज्ञापन तब तक प्रकाशित नहीं करेगा, जब तक कि राज्य में एमसीएमसी समिति से उनके द्वारा राजनीतिक विज्ञापन की मंजूरी नहीं मिल जाती है.’ 7 मई को आयोग ने इसके लिए एक नोटिस भी जारी की. ईसीआई ने रविवार को राज्य के सभी प्रमुख स्थानीय समाचार पत्रों को विज्ञापनों सहित सभी मामलों के लिए जिम्मेदार ठहराया.
भारतीय प्रेस परिषद के मानदंडों का हवाला देते हुए ईसीआई ने पत्र में कहा, ‘समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापनों सहित सभी मामलों के लिए संपादक जिम्मेदार होगा. अगर संपादक इसकी जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हैं तो उन्हें स्पष्ठ रूप से पहले ही कहना होगा.’ आयोग ने पत्र सभी समाचार पत्र के कार्यालय में भी भेजा है.
आयोग ने राजनीतिक दलों से कहा कि पहले भी प्रिंट मीडिया में प्रकाशित आपत्तिजनक और भ्रामक विज्ञापन की शिकायत चुनाव आयोग के पास आ चुके हैं.
ईसीआई ने कहा, ‘चुनाव के अंतिम समय में इस तरह के विज्ञापन पूरी चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं.’
अपने पत्र में निर्वाचन आयोग ने पार्टियों को ‘स्वच्छ और गंभीर’ चुनावी अभियान करने पर भी जोर दिया.
बता दें कि 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा के लिए 10 मई को मतदान होगा और वोटों की गिनती 13 मई को होगी. कर्नाटक में सत्ता पाने के लिए विपक्षी पार्टी कांग्रेस और जेडीएस तथा सत्ताधारी पार्टी बीजेपी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही है. हर दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं और एक दूसरे के खिलाफ समाचार पत्रों में विज्ञापन छपवा रहे हैं. आज शाम पांच बजे कर्नाटक विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा.
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