scorecardresearch
Tuesday, 24 December, 2024
होमदेश40+ सेकेंड पहले भूकंप की चेतावनी? IIT रुड़की अपने अर्थक्वेक डिटेक्शन सिस्टम को बेहतर बनाने में जुटा

40+ सेकेंड पहले भूकंप की चेतावनी? IIT रुड़की अपने अर्थक्वेक डिटेक्शन सिस्टम को बेहतर बनाने में जुटा

संस्थान के भूकंप चेतावनी संबंधी सिस्टम के प्रमुख का कहना है कि 5 की तीव्रता से अधिक शक्तिशाली भूकंप के लिए उनके ऐप के माध्यम से जनता को अलर्ट भेजा जाता है.

Text Size:

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की के शोधकर्ता भूकंप की स्थिति में जनता के लिए पूर्व चेतावनी समय को बढ़ाकर 40 सेकंड या उससे अधिक करने पर काम कर रहे हैं.

फिलहाल, संस्थान का भूकंप इंजीनियरिंग विभाग भूकंप आने से कुछ ही सेकंड पहले चेतावनी भेजता है.

अर्थक्वेक डिटेक्शन सिस्टम के प्रमुख प्रोफेसर एम.एल. प्रमुख शर्मा ने एक स्टार्ट-अप सिस्मिक हैजर्ड एंड रिस्क इन्वेस्टिगेशन को इनक्यूबेट किया है, जो चेतावनी प्रणाली का समय और बेहतर बनाने पर काम कर रहा है.

सिस्टम कैसे काम करता है, इस बारे में उन्होंने बताया, ‘हमने उत्तरकाशी और धारचूला (उत्तराखंड में) के बीच भूकंप की अत्यधिक संभावना वाले क्षेत्र में एक सेंसर स्थापित किया है. जब भी यह भूकंपीय तरंगे रिकॉर्ड करता है, सिग्नल हमारी भूकंप प्रयोगशाला में स्थापित निगरानी प्रणाली में पहुंच जाते हैं.’

शर्मा ने कहा, ‘एक बार जब यह सिग्नल पकड़ लेता है और भूकंप की भयावहता को पहचान लेता है, तो यह चेतावनी भेजता है. यदि भूकंप उच्च तीव्रता का है, तो चेतावनी जनता के पास जाती है, अन्यथा यह निगरानी के उद्देश्यों के लिए आंतरिक रूप से शोधकर्ताओं के पास जाती है.’

अर्ली अर्थक्वेक वार्निंग लोगों को उनके फ्री ऐप के माध्यम से तभी भेजी जाती है, जब भूकंप की तीव्रता पांच से अधिक होती है.

हालांकि, शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि ‘यह पर्याप्त नहीं है कि हम भूकंप से पहले लोगों को चेतावनी भेज दें. हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अधिक से अधिक इमारतें भूकंपरोधी सामग्री से बनी हों.’


यह भी पढ़ेंः ‘होमस्कूलिंग से लेकर कई एंट्री-एग्जिट प्वाइंट्स तक’, UGC के नए क्रेडिट फ्रेमवर्क में हुए कई रिफॉर्म


आईआईटी रुड़की का भूकंप इंजीनियरिंग विभाग किसी शैक्षणिक संस्थान में अपनी तरह का इकलौता ऐसा संस्थान है जो भूकंप का जल्द पता लगाने और भूकंपरोधी निर्माण सामग्री पर शोध करता है.

दो साल में 12 बार वार्निंग दी

शर्मा के मुताबिक, पिछले दो वर्षों में उनके सिस्टम की तरफ से 12 बार वार्निंग भेजी गई, उनमें से अधिकांश आंतरिक रूप से भेज गईं. हाल में इस वर्ष जनवरी में नेपाल में आए भूकंप के समय जनता को आगाह किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘नेपाल में हाल में आए भूकंप के दौरान हमने अपने ऐप के माध्यम से जनता को एक चेतावनी भेजी थी और हम लोगों को लगभग 40 सेकंड पहले सतर्क करने में सक्षम थे.’ साथ ही जोड़ा कि भूकंप के समय लोगों को पहले से आगाह करना बहुत बड़ी बात है.

उन्होंने कहा, ‘अब हम अपने स्टार्ट-अप के जरिए चेतावनी प्रणाली बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं.’

यह बताते हुए कि चेतावनी तंत्र कैसे काम करता है, शर्मा ने कहा कि जब भूकंप आता है, तो पृथ्वी से दो प्रकार की तरंगें निकलती हैं—एक जो तेज गति से ट्रैवल करती है और दूसरी जिनकी ट्रैवल स्पीड धीमी होती है.

उन्होंने इस बारे में आगे बताया, ‘तेज तरंगें उत्तरकाशी में स्थित हमारे सेंसर से टकराती है और हमें एक संकेत मिलता है, ताकि हम थोड़ी धीमी तरंगों के आने से पहले तैयार हों और वास्तव में यही तरंगें विनाश का कारण बनती हैं.’

अभी, निगरानी प्रणाली का प्रमुख हिस्सा उत्तरकाशी में स्थापित है लेकिन भविष्य में टीम अन्य क्षेत्रों में कई सेंसर स्थापित करने की योजना बना रही है, जो सभी आईआईटी रुड़की प्रयोगशाला में मुख्य निगरानी प्रणाली से जुड़े हैं.

शर्मा ने कहा, ‘इससे भूकंप के बारे में पहले से ही सटीक तरीके से पता लगाने में मदद मिलेगी और शोधकर्ताओं को चेतावनी भेजने के लिए बेहतर रिस्पांस टाइम मिलेगा.’

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः NCERT की किताबों से इतिहास के हिस्सों को हटाने का सुझाव देने वाले JNU प्रोफेसर्स का RSS कनेक्शन


 

share & View comments