नई दिल्ली: क्या आपके पास भी लगातार ऐसे मैसेज आ रहे हैं, जिनमें कहा जाता है कि “घर बैठे रोजाना 10,000 रुपये कमाएं”, या “पार्ट टाइम जाॅब्स” के ऑफर आते हैं? अगर हां, तो सावधानी बरतें.
पिछले कुछ वर्षों में, कई लोग इन धोखाधड़ी वाले प्रस्तावों का शिकार हुए हैं, जिनकी वर्तमान में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच चल रही है.
कई व्हाट्सएप नंबरों के माध्यम से काम करते हुए, भारत और विदेशों में बैठे घोटालेबाज कथित तौर पर लोगों को रोजगार के झूठे वादे करते हैं और विभिन्न तरीकों से उनसे पैसे ठगते हैं. दिप्रिंट को मिलीं जानकारी के अनुसार कमाया गया पैसा कथित तौर पर शेल कंपनियों के माध्यम से भेजा जाता है और उसे वाइट किया जाता है.
सीबीआई के अनुसार, यह भारत में सबसे बड़े “साइबर-एनेबल मनी-लॉन्ड्रिंग फ्रॉड्स” में से एक का प्रतिनिधित्व करता है.
इस सप्ताह, एजेंसी ने “ऑपरेशन चक्र 2” के रूप में भारत भर में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की, जिसे “संगठित साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों से निपटने और नष्ट करने” के लिए डिज़ाइन किया गया था.
घोटाले के संबंध में पिछले साल सीबीआई में एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जब उसे बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिकों को निवेश और पार्ट टाइम जाॅब के अवसरों के वादे के साथ पैसे ठगने की जानकारी मिली थी.
जैसे-जैसे सीबीआई गहराई में गई, टीम ने कई परतों और उन्नत तकनीक से जुड़े एक बेहद जटिल रैकेट का पर्दाफाश किया.
सीबीआई के एक सूत्र ने कहा, “इस ऑपरेशन का पैमाना बहुत बड़ा है. इन जालसाजों ने विभिन्न व्हाट्सएप नंबरों के माध्यम से संपर्क करके सैकड़ों भोले-भाले लोगों को धोखा दिया है. इसके अलावा, जालसाजों द्वारा निवेश और पार्ट टाइम जाॅब्स के नाम पर बड़ी संख्या में पीड़ितों से पैसे इकट्ठा करने के लिए विभिन्न बैंक खातों और यूपीआई का उपयोग किया गया है.”
सूत्र ने कहा, इसके अलावा, विभिन्न शेल कंपनियों का इस्तेमाल विभिन्न बैंक खातों और विदेशी-आधारित क्रिप्टो वॉलेट में पैसे निकालने की सुविधा के लिए किया गया है, जो अब जांच के दायरे में हैं.
सूत्र के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर शेल कंपनियों के “चीनी लिंक” भी हैं, जिनकी जांच चल रही है.
सूत्र ने बताया कि साइबर अपराधी इन धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए “Google विज्ञापन, बल्क एसएमएस, सिम बॉक्स-आधारित एसएमएस, क्लाउड सेवाएं, फिनटेक कंपनियां और एपीआई” का उपयोग करते हैं.
सीबीआई ने उन दो मामलों के सिलसिले में 72 स्थानों पर राष्ट्रव्यापी छापेमारी भी की, जिनमें ऐसे व्यक्ति शामिल थे, जिन्होंने कथित तौर पर विदेशी नागरिकों को धोखा देने के लिए माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़ॅन के तकनीकी सहायता प्रतिनिधियों के रूप में खुद को पेश किया था.
चीनी लिंक वाली कंपनियों से जुड़ी “क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड” से संबंधित तीन अन्य मामलों में भी तलाशी ली गई.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन चक्र अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के सहयोग से चलाया गया था.
यह भी पढ़ें: नकली IDs, प्रोफाइल, न्यूड फोटो बनाकर दिल्ली की नाबालिगों को परेशान कर रहा IIT खड़गपुर का छात्र गिरफ्तार
एक आकर्षक मैसेज और एक लिंक
तो धोखाधड़ी कैसे की जाती है? सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, पीड़ितों से सबसे पहले गूगल, फेसबुक विज्ञापनों, टेलीग्राम ऐप और यहां तक कि एसएमएस के जरिए संपर्क किया जाता है, जिसमें उन्हें जल्दी पैसा कमाने के लिए नौकरी की पेशकश करने वाले मैसेज भेजे जाते हैं.
लोगों को भेजे जाने वाले मैसेजों में “डियर सर, अमेज़ॅन तत्काल पार्ट टाइम जाॅब के लिए भर्ती कर रहा है, आप हर दिन 3000-10000 रुपये कमा सकते हैं. प्रिय, मैं एक HR मैनेजर हूं. आपको पार्ट/फुल टाइम जाॅब के लिए चुना गया है, अब आप प्रति दिन 20000 रुपये तक कमा सकते हैं. लिंक पर क्लिक करके आवेदन करें.”
ऐसे हर एसएमएस में एक व्हाट्सएप लिंक होता है, जिस पर क्लिक करने पर सीधे चैट के लिए संकेत मिलता है.
चैट में मौजूद व्यक्ति विक्टिम के साथ बातचीत शुरू करता है और फिर अंततः एक निवेश वेबसाइट लिंक भेजता है.
सीबीआई के एक दूसरे सूत्र के मुताबिक, चैट पर मौजूद व्यक्ति विक्टिम से कहता है कि उसे कुछ पैसे निवेश करने होंगे और तुरंत अच्छा रिटर्न मिलेगा. कुछ मामलों में, पीड़ितों को दस्तावेज़ या ईमेल टाइप करने जैसे कार्य भी दिए जाते हैं. हालांकि, किसी कार्य को करने के लिए एक अनिवार्य शर्त यह है कि पहले अपनी साख साबित करने के लिए UPI वॉलेट में पैसे लोड करें.
सूत्र के मुताबिक, इस पैसे को लोड करने के लिए साइट द्वारा कई पेमेंट गेटवे उपलब्ध कराए गए हैं जो अनधिकृत हैं.
सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई भुगतान गेटवे भारत में संचालित करने के लिए अनऑथोराइज्ड नहीं हैं और ये सभी भुगतान इंटरनेट लिंक का उपयोग करके यूपीआई के माध्यम से किए जाते हैं.
सूत्र ने कहा, “पैसा जमा करने (आईसीआईसीआई बैंक/RazorPay/BharatPe, आदि) को यूपीआई के माध्यम से लिया जाता है और पैसा दोगुना करने या उच्च कमीशन देने का वादा किया जाता है. पहले स्तर के बैंक खाते से, पैसा अन्य बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाता है. फिर एक मध्यवर्ती खाते से, धन को क्रिप्टोकरेंसी, बुलियन, पेआउट खातों जैसे कई स्रोतों में विभाजित किया जाता है.”
एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट
सूत्रों ने कहा कि धोखाधड़ी में शामिल अधिकांश वेबसाइटें “xyz” या “wixsite” डोमेन के साथ पंजीकृत हैं.
दूसरे सूत्र ने कहा, “.xyz और .wixsite डोमेन का संभावित कारण डोमेन की बहुत सस्ती दरें हैं.”
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, व्हाट्सएप, टेलीग्राम या अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से लिंक पर संदेश भेजने के लिए जिन नंबरों का उपयोग किया जाता है, वे विभिन्न स्थानों पर आधारित होते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, व्हाट्सएप पर सक्रिय कुछ भारतीय नंबर सिम मालिक की जानकारी के बिना चल रहे हैं.
सूत्रों ने आगे बताया कि एक कॉल सेंटर सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक काम करता है और उसे विक्टिम के साथ बातचीत करने और कई स्थानों से व्हाट्सएप नंबरों पर संवाद करने का काम सौंपा जाता है.
दूसरे सीबीआई सूत्र ने कहा, “इन धोखेबाजों के पास पीड़ितों के साथ संवाद करने के लिए एक संगठित चैट अनुक्रम होता है जिसमें वे व्यक्ति का स्वागत करते हैं और निवेश की प्रक्रिया समझाते हैं. यह देखा गया है कि इसके लिए कई भारतीय और विदेशी मोबाइल नंबरों का उपयोग किया जाता है.”
सूत्र ने कहा, “ये लोग हिंदी नहीं जानते. सभी संचार मुख्यतः अंग्रेजी भाषा होते हैं. कई बार, वे पीड़ितों से संवाद करने के लिए Google अनुवाद का उपयोग करते हैं.”
विदेशी नागरिकों द्वारा ‘निर्मित और उपयोग’ किए गए पेमेंट गेटवे
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, विदेशी नागरिकों द्वारा बनाए और संचालित किए गए विभिन्न भुगतान गेटवे का उपयोग पीड़ितों द्वारा किए गए निवेश को स्वीकार करने के लिए किया जाता पाया गया.
पहले स्रोत ने कहा, “ये पेमेंट गेटवे यूपीआई के माध्यम से पैसे स्वीकार करते हैं और लेनदेन समाधान की सुविधाएं भी रखते हैं. यूपीआई एड्रेस का उपयोग रेजरपे, भारतपे आदि के पीछे लेयरिंग बनाने के लिए किया जाता है, जिससे दिन के अंत में निपटान की सुविधा मिलती है.”
सूत्र ने कहा, भुगतान विक्टिम का विश्वास जीतने के लिए किया जाता है.
सूत्र ने कहा, “रेज़र पे, ईज़ बज़, पेटीएम, स्पीडी पे, इंस्टेंट पे, कैश फ्री आदि जैसी फिनटेक कंपनियों का उपयोग भुगतान के लिए किया जाता है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास शेल कंपनियां और किराए की कंपनियां? भुगतान के लिए सेवाओं का लाभ उठाने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र का उपयोग किया जाता है. इनमें से कई फिनटेक कंपनियां मान्यता प्राप्त नहीं हैं और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सीधे विनियमित भी नहीं हैं.”
सूत्र ने कहा, जांच से यह भी पता चला है कि कई पीड़ितों के माध्यम से प्राथमिक खातों में प्राप्त धनराशि को भारत भर में स्थित विभिन्न अन्य खातों में भेज दिया गया है.
(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: 372 FIRs, 91 गिरफ्तार- कोविड में ऑक्सीजन और दवाओं की ठगी करने वालों का दिल्ली पुलिस ने भंडाफोड़ किया