तिरुवनंतपुरम, 17 अप्रैल (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की युवा शाखा ‘डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (डीवाईएफआई) ने सोमवार को 2019 के पुलवामा हमले के बारे में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के दावों पर चुप्पी तोड़ने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया।
इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान मारे गये थे।
वामपंथी संगठन ने कहा कि वह पुलवामा हमले के बारे में चुप्पी साधने और जवाबदेही की कमी के खिलाफ जल्द ही देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।
डीवाईएफआई के अखिल भारतीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य ए. ए. रहीम ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पुलवामा हमले के बारे में खुलासे ‘गंभीर रूप से चिंतित’ करने वाले हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को शहीदों के परिवारों और देश को जवाब देना चाहिए।
मलिक ने हाल ही में मीडिया को दिये एक साक्षात्कार में आरोप लगाया कि सीआरपीएफ ने सैनिकों को लाने-ले जाने के लिए विमान की मांग की थी, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
मलिक पुलवामा आतंकी हमले के दौरान जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे।
रहीम ने कहा, ‘‘मामले में प्रधानमंत्री की चुप्पी रहस्यमय है। उन्हें (सरकार की) विफलताओं के बारे में चुप्पी तोड़नी चाहिए और शहीद सैनिकों के परिवारों और देश को जवाब देना चाहिए। (मलिक के) खुलासे बेहद चिंताजनक हैं।’’
रहीम ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को नजरअंदाज नहीं कर सकती। उन्होंने आगे कहा कि डीवाईएफआई जल्द ही एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।
मलिक ने यह भी दावा किया था कि उन्हें इस मामले में सरकार की विफलताओं के बारे में चुप रहने का निर्देश दिया गया था।
आतंकवादियों ने 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए और कई घायल हुए थे।
भाषा सुरेश माधव
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