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बुधवार, 7 मई, 2025
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तिहाड़ में निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने की हुई ‘डमी’ प्रैक्टिस, अक्षय की पत्नी पहुंची कोर्ट

20 मार्च को सुबह पांच बजकर 30 मिनट पर निर्भया के चारों दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को दिल्ली की अदालत के फैसले के बाद फांसी दी जानी है.

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नई दिल्ली: निर्भया के गैंगरेप और हत्या के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह फांसी दी जानी है. फांसी दिए जाने को लेकर सारी तैयारी तिहाड़ जेल में पूरी कर ली गई है. तिहाड़ जेल के अधिकारी का हवाला देते हुए समाचार एजेंसी एएनआई ने कहा कि जल्लाद पवन ने आज सुबह जेल में दोषियों को फांसी दिए जाने की ‘डमी’ प्रैक्टिस की. 20 मार्च को सुबह पांच बजकर 30 मिनट में निर्भया के चारों दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को दिल्ली की अदालत के फैसले के बाद फांसी दी जानी है.

सुधारात्मक याचिका और राष्ट्रपति के पास गुहार

फांसी की सजा को रुकवाने के लिए निर्भया के दोषी पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और सुधारात्मक याचिका दायर की है. जबकि अक्षय कुमार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दूसरी बार दया याचिका दायर की है.
तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने कहा कि कुमार ने मंगलवार शाम को राष्ट्रपति के पास दुबारा याचिका दायर की है. जेल अधिकारी ने बताया , ‘इस याचिका को भी दिल्ली सरकार के मार्फत गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा’

वहीं तिहाड़ जेल प्रशासन चारों दोषियों को फांसी देने की तैयारी में जुटा है, इसी कड़ी में आज जल्लाद पवन ने चारों दोषियों को फांसी दिए जाने की डमी प्रैक्टिस भी की.

पवन गुप्ता ने यह सुधारात्मक याचिका उस पुनर्विचार याचिका को खारिज किये जाने के खिलाफ दायर की है जिसमें उसके किशोर होने का दावा खारिज किया गया था. उच्चतम न्यायालय ने दोषी पवन गुप्ता की उस समीक्षा याचिका को 31 जनवरी को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने अदालत के उस फैसले की समीक्षा करने की अपील की थी जिसमें उसके नाबालिग होने के दावे को 20 जनवरी को खारिज कर दिया गया था.


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पुनर्विचार याचिका न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने चैंबर में सुनवायी करके खारिज कर दी थी. पवन के अधिवक्ता ए पी सिंह ने मंगलवार को सुधारात्मक याचिका दायर किये जाने की पुष्टि की.

मां पहुंची एनएचआरसी, बीवी पहुंची अदालत

चारों दोषियों की फांसी रोकी जाने को लेकर परिवार वाले भी भरसक कोशिश में जुटे हैं. मुकेश कुमार की मां फांसी रोके जाने को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का दरवाजा खटखटाया था जिसे आयोग ने खारिज कर दिया है. वहीं दोषी अक्षय की पत्नी पुनिता ने बिहार के औरंगाबाद में उससे तलाक की अर्जी लगाई है और कहा है कि वह किसी दोषी की विधवा बनकर नहीं रहना चाहती है इसलिए उसे अक्षय से तलाक चाहिए.

कानून के जानकारों का मानना है कि अगर कोर्ट अक्षय को नोटिस जारी कर देता है तो उसे अदालत में उपस्थित होना होगा जिससे यह फांसी टल सकती है.

वहीं दूसरी तरफ मुकेश की मां ने एनएचआरसी में की गई शिकायत में उसने अपने पुत्र की फांसी रोकने के लिए आयोग के हस्तक्षेप की मांग की थी. आर के पुरम स्थित रविदास कैंप निवासी शिकायतकर्ता राम बाई ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि उसके पुत्र मुकेश कुमार सहित मामले के सभी आरोपियों को ‘झूठे ही फंसाया गया है’ और अदालत के आदेश के अनुपालन के तहत उन्हें फांसी दिया जाना ‘न्याय नहीं होगा.’

एनएचआरसी ने कहा कि उसे बाई की उनके वकील ए पी सिंह के जरिये एक शिकायत मिली थी जिसमें उन्होंने अपने पुत्र की फांसी की तामील में तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया था. बाई का पुत्र वर्तमान समय में तिहाड़ जेल परिसर में जेल नम्बर तीन में बंद है.

एनएचआरसी ने एक बयान में कहा, ‘‘शिकायतकर्ता द्वारा मौत की सजा पर रोक को लेकर अनुरोध का जहां तक सवाल है, यह स्पष्ट है कि दोषी मुकेश कुमार पहले ही उचित प्राधिकारियों तक पहुंच बना चुका है और प्राधिकारियों ने अपने अधिकारक्षेत्र का विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया है. यह मामला आयोग के अधिकारक्षेत्र से बाहर का है.’

आयोग ने कहा कि इसलिए शिकायत को खारिज किया जाता है.

पवन के अलावा मुकेश कुमार सिंह (32), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी इससे पहले तीन मार्च सुबह छह बजे दी जानी थी. बता दें कि इससे पहले तीन बार इन चारों की फांसी को टाला जा चुका है. क्योंकि दोषी अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल लगातार करते रहे हैं.

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