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शनिवार, 10 मई, 2025
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असम के ‘चार’ में शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की शिक्षा के लिए मदरसों का चयन कर रहे अभिभावक

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(त्रिदीप लाखड़)

दारोगर अलगा (असम), 11 सितंबर (भाषा) असम के दारोगर अलगा ‘चार’ के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने औपचारिक स्कूली शिक्षा के बजाय धार्मिक मदरसों को इसलिए चुना, क्योंकि वहां एकल-शिक्षक वाले प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सवालों के घेरे में थी।

दारोगर अलगा चार हाल ही में एक मदरसे को तोड़े जाने को लेकर खबरों में था।

शिक्षकों की कमी और शिक्षकों द्वारा कई तरह के कार्य करने का मतलब है कि बच्चों को पढ़ाने में समय कम लगाया जाता है।

गांव में रहने वाले 62 वर्षीय उजीर जमाल ने कहा कि सरकारी स्कूलों के खराब बुनियादी ढांचे के चलते अभिभावक अपने बच्चों को इन सामान्य स्कूलों से मदरसे में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर हुए।

जमाल ने सवाल किया, ‘‘चार में सभी पांच निचले प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्र हैं, लेकिन प्रत्येक विद्यालय में केवल एक शिक्षक है। क्या एक ही शिक्षक द्वारा एक ही समय में पांच कक्षाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना संभव है?’’

दारोगर अलगा मजार चार लोअर प्राइमरी स्कूल के एकमात्र शिक्षक हबीबुर रहमान ने कहा, ‘‘एक साथ पांच कक्षाओं को पढ़ाना बहुत मुश्किल है। जिन कक्षाओं में मैं पढ़ाता नहीं हूं, उनके बच्चे बहुत शोर करते हैं। मैं उन्हें दोष नहीं दे सकता, क्योंकि वे हैं सभी बच्चे। आपको उन पर लगातार नजर रखने की जरूरत होती है।’’

उन्होंने कहा कि स्कूल में 1 से 5 तक विभिन्न कक्षाओं में 27 छात्र पढ़ते हैं।

यही अनुभव दारोगर अलगा मजार चार लोअर प्राइमरी स्कूल नंबर 2 के संविदा शिक्षक सोबुरुद्दीन का है, जिसमें कोई स्थायी शिक्षक नहीं है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मेरे स्कूल में 75 छात्र हैं और मैं अकेला शिक्षक हूं। पांच कक्षाएं दो घरों में हैं। इसलिए, मैं एक जगह से दूसरी जगह दौड़ता रहता हूं। यह बेहद तनावपूर्ण है।”

सोबुरुद्दीन आमतौर पर दोनों घरों में से एक के बरामदे में बैठते हैं और वहां से छात्रों को निर्देशित करते हैं।

कक्षा 1 और 3 के दो छात्रों ने रहमान का स्कूल छोड़ दिया था और मदरसे में दाखिला ले लिया था। साथ ही सोबुरुद्दीन के स्कूल से कक्षा 3 और 4 के दो विद्यार्थियों ने विद्यालय आना बंद कर दिया था और मदरसे में धर्म संबंधी शिक्षा लेना शुरू कर दिया।

ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षकों की कमी के कारण कई बार स्कूल के समय अफरा-तफरी मच जाती है। हालांकि, सरकार ने छात्रों के लिए स्कूल, डेस्क, बेंच, टेबल, कुर्सियां, मुफ्त किताबें और वर्दी जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

मदरसा के दो शिक्षकों के कथित ‘जिहादी’ संबंधों को लेकर स्थानीय निवासियों ने छह सितंबर को दारोगर अलगा मदरसा और उसके परिसर में एक मकान को ध्वस्त कर दिया गया था।

स्कूल मैदान में पीपल के एक पेड़ के नीचे बैठे रहमान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पहले दो स्वीकृत पद थे, लेकिन 2006 में एक को समाप्त कर दिया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘2006 से पहले कभी भी एक समय में दो स्थायी शिक्षक नहीं थे। कभी-कभार एक संविदा शिक्षक नियुक्त किया जाता है। हालांकि, जब उस शिक्षक को स्थायी नियुक्ति मिल जाती है तो वह स्कूल छोड़ देता है।’’

भाषा अमित पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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