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Thursday, 11 September, 2025
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कालाबाज़ारी के कारण किसानों को उर्वरकों की बजाय लाठियाँ मिल रही हैं: कांग्रेस नेता

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भोपाल, 11 सितंबर (भाषा) कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में उर्वरक लेने के लिए कतारों में खड़े किसानों को पुलिस लाठीचार्ज का सामना करना पड़ रहा है, जबकि राज्य में उर्वरकों का अतिरिक्त भंडार मौजूद है।

मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि पुलिस ने दो सितंबर को रीवा की करहिया मंडी और आठ सितंबर को भिंड की वृहतकर सहकारी संस्था पर किसानों पर लाठीचार्ज किया। उन्होंने खाद वितरण में राज्य सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया।

सिंघार ने यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘राज्य सरकार कालाबाज़ारियों के हाथों में खेल रही है।’

उन्होंने मोहन यादव के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत पूर्ण अधिकार होने के बावजूद उर्वरकों की कालाबाज़ारी रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।

लोकसभा में 25 जुलाई, 2025 को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के उत्तर और मासिक बुलेटिनों का हवाला देते हुए सिंघार ने कहा कि राज्य में पिछले तीन वर्षों से 16.25 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 7.11 लाख मीट्रिक टन डायमोनियम फ़ॉस्फ़ेट (डीएपी) का अधिशेष है। यूरिया और डीएपी फसलों की वृद्धि के लिए नाइट्रोजन और फ़ॉस्फ़ोरस प्रदान करने वाला एक व्यापक रूप से प्रयुक्त उर्वरक है।

उन्होंने कहा कि समस्या वितरण और प्रबंधन में विफलता है, न कि उर्वरकों की कमी है।

सिंघार ने कहा, ‘आज किसानों को लाठियों से पीटा जा रहा है। कल, वही किसान अपने वोटों से बदला चुकाएँगे। मुद्दा उर्वरकों की कमी नहीं, बल्कि राज्य सरकार की योजना और प्रबंधन की विफलता है।’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘1.50 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के वार्षिक बजट और (रसायन एवं उर्वरक) मंत्रालय की ज़िम्मेदारी भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के पास होने के बावजूद, किसानों को उर्वरक न मिलना सरकार की सबसे बड़ी विफलता है।’

सिंघार ने कहा कि मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 45 प्रतिशत से ज़्यादा है और उर्वरक की माँग और खपत में देश में दूसरे स्थान पर होने के बावजूद, राज्य किसानों को उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करने में विफल रहा है।

प्रदेश के पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने खरीफ़ और रबी सीज़न की माँग का वैज्ञानिक आकलन नहीं किया और किसान कल्याण एवं कृषि विकास, सहकारिता विभागों और मध्य प्रदेश कृषि उद्योग विकास निगम के बीच समन्वय स्थापित करने में भी विफल रही।

भाषा दिमो नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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