लखीमपुर खीरी (उप्र), 17 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा में जल्द ही अपना हाथी रिजर्व पार्क होगा, जिसका नाम तराई हाथी रिजर्व (टीईआर) रखा जाएगा।
शिवालिक हाथी अभयारण्य के बाद यह दूसरा हाथी अभयारण्य होगा।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिरीक्षक और हाथी परियोजना के राष्ट्रीय प्रभारी रमेश पांडे ने बताया, ‘‘केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने दुधवा में तराई हाथी रिजर्व के गठन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘टीईआर के गठन के संबंध में औपचारिक प्रस्ताव के लिए हाल ही में प्रदेश सरकार को एक पत्र भेजा गया है।’’
दुधवा में प्रस्तावित तराई हाथी अभयारण्य में पीलीभीत टाइगर रिजर्व (800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र), दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (680 वर्ग किमी), किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य (204 वर्ग किमी), कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य (440 वर्ग किमी क्षेत्र) और उत्तर एवं दक्षिण खीरी वन मंडल के कुछ हिस्से शामिल होंगे।
दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) के क्षेत्रीय निदेशक संजय कुमार पाठक ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘दुधवा में हाथी रिजर्व के गठन से जंगली तस्करों से बचाव के साथ-साथ हाथियों के संरक्षण में मदद मिलेगी।’’ उन्होंने कहा कि इससे टीईआर और डीटीआर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यह पर्यटकों को आकर्षित करेगा।
डीटीआर के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक एवं हाथी परियोजना के राष्ट्रीय प्रभारी रमेश पांडे ने बताया, ‘‘दुधवा में टीईआर की स्थापना प्रवासी जंगली हाथियों की बढ़ती संख्या और निवास की प्रकृति के कारण आवश्यक थी, जिनकी आबादी 150 से अधिक हो गई है।’’
उन्होंने बताया, ‘‘पहले, ये जंगली हाथी खाटा-कतर्नियाघाट-मांझरा-बेलरायां-दुधवा, बसंता-दुधवा, लालझड़ी-साथियाना (दुधवा), शुक्लाफांटा-ढाका-पीलीभीत- उत्तर खीरी-किशनपुर और कई अन्य वन गलियारों के माध्यम से नेपाल के जंगलों से दुधवा में आये और फिर वापस लौट गये। हालांकि, पिछले कई वर्षों में, यह देखा गया है कि आने वाले हाथियों ने यहां लंबे समय तक रहना पसंद किया है और दुधवा के ‘निवासी जानवर’ बन गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि इसके कारण इन जंगली जानवरों की सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक तराई हाथी रिजर्व की आवश्यकता थी।
भाषा सं आनन्द रंजन सुरेश
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