नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने शुक्रवार को आयोजित 1275वीं बैठक में मनोविज्ञान, समाजशास्त्र और अंग्रेजी सहित विभिन्न विभागों के पाठ्यक्रम में व्यापक संशोधनों को मंजूरी दी।
इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने पत्रकारिता और नाभिकीय औषधि में नए कार्यक्रमों, एक समान शिक्षक वरिष्ठता नियमों और प्रशासनिक उपायों को भी मंजूरी दी।
कार्यकारी परिषद (ईसी) ने ‘साइकोलॉजी ऑफ पीस’ नामक ऐच्छिक पेपर में संशोधन को मंजूरी दी। वहीं ‘रिलेशनशिप साइंस’ में ‘डेटिंग ऐप्स’ की जांच करने वाली एक इकाई को भी हटा दिया गया।
समाजशास्त्र पाठ्यक्रम में किए गए बदलावों में कार्ल मार्क्स और थॉमस रॉबर्ट माल्थस जैसे सिद्धांतकारों को जनसंख्या एवं समाज पेपर से हटा दिया गया है।
हालांकि, बैठक में कई निर्वाचित सदस्यों की ओर से तीखी असहमति जताई गई।
विवादास्पद पाठ्यक्रम परिवर्तनों में कश्मीर, फलस्तीन, भारत-पाकिस्तान तनाव और पूर्वोत्तर से जुड़े केस स्टडीज को हटाना शामिल है, जिनकी जगह महाभारत और भगवद गीता जैसे भारतीय धार्मिक ग्रंथों को शामिल किया गया है।
इन बदलावों का संकाय और निर्वाचित परिषद सदस्यों ने तीखा विरोध किया।
परिषद के सदस्य और किरोड़ीमल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर रुद्राशीष चक्रवर्ती ने कहा कि यह अकादमिक विषयों को विकृत करने से कम नहीं है।
उन्होंने कहा, “यह पाठ्यक्रम की गुणवत्ता से घोर समझौता है और अनुशासनात्मक विशेषज्ञता की पूर्ण उपेक्षा की गई है। विचारधारा से प्रेरित ये मनमाने बदलाव हमारे पाठ्यक्रमों की वैश्विक विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं।”
भाषा जितेंद्र अविनाश
अविनाश
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