नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर 21,000 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ की बरामदगी से जुड़े मामले में गिरफ्तार दिल्ली के एक कारोबारी की जमानत अर्जी मंगलवार को खारिज कर दी।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने आरोपी के खिलाफ आतंकवादी वित्तपोषण के राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के आरोप को ‘‘आधा-अधूरा’’ और ‘‘अटकलों पर आधारित’’ करार दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि एनआईए ने मामले में कड़ा आतंकवाद रोधी कानून ‘गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए)’ लागू किया है और तस्करी के कारोबार को संदिग्ध संबद्धता वाले अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट से व्यापक रूप से जोड़ा है, लेकिन फिलहाल हरप्रीत सिंह तलवार उर्फ कबीर तलवार को देश के भीतर या बाहर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से जोड़ने के लिए ‘‘कोई ठोस कारण नहीं है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना जरूरी समझते हैं कि इस स्तर पर याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपों को आतंकवादी वित्तपोषण के स्तर तक ले जाना आधा-अधूरा और अटकलबाजी होगा।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह के गंभीर आरोप को बनाए रखने के लिए सबूतों का स्पष्ट और ठोस आधार होना चाहिए, जो तभी संभव है जब दोनों पक्षों की ओर से पर्याप्त मात्रा में साक्ष्य पेश कर दिए जाएं।
इसने कहा, ‘‘हम इस समय याचिकाकर्ता को नियमित जमानत देने के पक्ष में नहीं हैं। उसे छह महीने की अवधि के बाद या मुकदमे की सुनवाई में पर्याप्त प्रगति होने पर नियमित जमानत के लिए फिर से अदालत का रुख करने की छूट होगी।’’
दूसरी ओर, न्यायालय ने एनआईए को विशेष अदालत के समक्ष गवाहों की एक अतिरिक्त सूची पेश करने का आदेश दिया, जो उसके आकलन के अनुसार संवेदनशील या महत्वपूर्ण थे तथा जिनकी गवाही मामले में याचिकाकर्ता या सह-आरोपी की भूमिका पर सीधा प्रकाश डाल सकती है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘विशेष अदालत को निर्देश दिया जाता है कि वह मामले को महीने में दो बार सूचीबद्ध करे और अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान लगातार और निर्बाध रूप से दर्ज करे।’’
इसने कहा कि अगर विशेष अदालत के पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति अभी तक नहीं की गई है, तो गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एक हफ्ते के भीतर ‘‘आवश्यक कदम’’ उठाएंगे।
उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश मामले के गुण-दोष के आधार पर नहीं है और मुकदमे की कार्यवाही पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता।
इसने कहा कि तलवार के खिलाफ आरोपों का आकलन दुबई में एक प्रमुख विदेशी आरोपी के साथ उसकी कथित बैठकों; एक चिह्नित खेप की निकासी के लिए बिचौलियों के माध्यम से दस्तावेजों के हस्तांतरण; फर्जी बिल बनाने और दूसरों को जिम्मेदारी सौंपने के प्रयासों; लेन-देन की वास्तविक प्रकृति को छिपाने के लिए कथित तौर पर उससे जुड़ी कई कंपनियों के इस्तेमाल करने और कुछ सह-साजिशकर्ताओं को की गई फोन कॉल के मद्देनजर किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘गवाहों के बयानों और पारिस्थितिजन्य संबंधों से समर्थित ये पहलू फिलहाल याचिकाकर्ता की मिलीभगत के सिलसिले में प्रथम दृष्टया संतुष्ट करते हैं।’’
न्यायालय ने कहा कि तलवार पर सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी में मदद करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनके कथित तौर पर गंभीर सामाजिक परिणाम हो सकते हैं।
इसने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि संबंधित खेप की जब्ती भारतीय इतिहास में मादक पदार्थ की सबसे बड़ी जब्ती है, जिसकी कीमत 21,000 करोड़ रुपये से अधिक थी। विदेशी सिंडिकेट, मुखौटा कंपनियों, मेडिकल वीजा और झूठे दस्तावेजों के शामिल होने के कारण इस अभियान का पैमाना एवं जटिलता मामले को नियमित एनडीपीएस (स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम) उल्लंघन से कहीं आगे ले जाता है।’’
शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को तलवार की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, क्योंकि एनआईए ने कहा था कि मादक पदार्थ की बिक्री से प्राप्त राशि का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया गया था।
तलवार दिल्ली में कई लोकप्रिय क्लब का संचालन करता था। उसे अगस्त 2022 में मुंद्रा बंदरगाह पर 21,000 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ की बरामदगी से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसे भारत में मादक पदार्थों की सबसे बड़ी बरामदगी बताया जाता है।
गुजरात में 12 सितंबर 2021 को अफगानिस्तान से ईरान के रास्ते मुंद्रा बंदरगाह पर कुछ कंटेनर पहुंचे थे, जिनमें ‘अर्ध-प्रसंस्कृत टैल्क स्टोन’ से भरे बैग रखे हुए थे।
राजस्व खुफिया निदेशालय ने खुफिया जानकारी के आधार पर 13 सितंबर 2021 को कंटेनर की जांच की और इस दौरान कुछ बैग में हेरोइन मिली। आगे की जांच में कंटेनर से 21,000 करोड़ रुपये कीमत की कुल 2988.21 किलोग्राम हेरोइन बरामद हुई।
भाषा पारुल नेत्रपाल
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