जयपुर, 29 जुलाई (भाषा) राजस्थान सरकार रामगढ़ बांध के पूरे बहाव क्षेत्र में अवरोधों और अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए ‘रिमोट सेंसिंग’ और ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण कराएगी। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने सोमवार को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देश की अनुपालना में राज्य सरकार द्वारा रामगढ़ बांध के प्रवाह क्षेत्र एवं जलसंग्रहण क्षेत्र में सतत निगरानी एवं पर्यवेक्षण के लिए जयपुर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति गठित की गई है।
इस समिति द्वारा बांध के जलसंग्रहण क्षेत्र में अवरोधों एवं अतिक्रमणों को चिह्नित करने और हटाने की कार्रवाई नियमानुसार सतत रूप से की जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरे बहाव क्षेत्र में अवरोधों और अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग और ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण कराया जाएगा।’’
मंत्री शून्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कालीचरण सराफ द्वारा रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में रसूखदारों द्वारा बनाए रिसोर्ट, फार्म हाउस, पक्के निर्माण आदि के कारण पानी की आवक नहीं होने से उत्पन्न स्थिति के संबंध में ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के सवाल का जवाब दे रहे थे।
मंत्री ने बताया कि इस बांध का जल बहाव क्षेत्र राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार 3610.80 हेक्टेयर है, जिसमें से 2679.88 हेक्टेयर राजस्व विभाग के क्षेत्राधिकार में और 930.92 हेक्टेयर जयपुर विकास प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में आता है। इसके अलावा पानी कई स्थानों पर कृषि भूमि से होकर भी बहता है।
रावत ने बताया कि रामगढ़ बांध के बहाव और जलसंग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए अब तक कई प्रयास हो चुके हैं। वर्तमान तक 323.30 हेक्टेयर भूमि पर अवरोधों और अतिक्रमणों को चिह्नित कर हटाया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि कार्यवाही सतत रूप से आगे भी जारी रहेगी। उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार दो मीटर से अधिक ऊंचाई के ‘एनीकट’ (बहाव को नियंत्रित करने के लिए बनाए जाने वाले छोटे बांध) को तोड़कर उनकी ऊंचाई दो मीटर तक सीमित कर दी गई है।
भाषा पृथ्वी कुंज खारी
खारी
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.