जम्मू: गृह मंत्रालय ने जम्मू वायु सेना स्टेशन हमले का मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है. वहीं दूसरी ओर जम्मू में संवेदनशील इलाकों में ड्रोन के देखे जाने का सिलसिला लगातार कायम हैं. सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने कहा है कि सोमवार देर रात जम्मू के रत्नूचक इलाके के कुंजवानी में संदिग्ध ड्रोन गतिविधि देखी गई. पिछले 24 घंटे में लगातार तीसरी बार है जब यहां ड्रोन देखा गया है.
वहीं दूसरी तरफ भारत ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकी गतिविधियों के लिए ड्रोन के हो रहे इस्तेमाल का मुद्दा भी उठाया है और आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दें.
भारत ने आज संयुक्त राष्ट्र में ‘स्ट्रैटेजिक और कॉमर्शियल संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हथियारबंद ड्रोन के उपयोग’ का मुद्दा उठाया है और इसपर ध्यान देने का आग्रह किया है.
Breaking News: India has raised the issue of “weaponised drone usage for terrorist purposes against strategic and commercial assets” at the UN today, urging its attention on the issue. @ThePrintIndia
— Nayanima Basu (@NayanimaBasu) June 29, 2021
जम्मू में भारतीय वायु सेना के स्टेशन पर रविवार तड़के दो ड्रोन से विस्फोटक गिराए गए थे, जिसमें दो जवान घायल हो गए थे. उसके बाद इलाके में ड्रोन देखे जाने का सिलसिला लगातार जारी है.
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू वायु सेना स्टेशन पर हमले की जांच एनआईए को सौंप दी गई है.
वहीं दूसरी तरफ समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि एनएसजी की एक विशेष बम निरोधक टीम जम्मू वायु सेना स्टेशन पर विस्फोट की प्रकृति की जांच कर रही है. विस्फोट में आरडीएक्स या टीएनटी का इस्तेमाल होने की संभावना है. ड्रोन को सीमा पार से नियंत्रित किया गया था.यही नहीं इस मामले में स्थानीय हैंडलर की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है.
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ड्रोन हमले की ताजा साजिश नाकाम
सेना के सतर्क जवानों ने जम्मू में एक सैन्य प्रतिष्ठान पर ड्रोन हमले की ताजा साजिश को नाकाम कर दिया. वहीं, वायुसेना स्टेशन पर हमला मामले में शुरुआती जांच में आरडीएक्स समेत विस्फोटक रसायनों के इस्तेमाल का अंदेशा जताया गया है जो देश में हुआ इस तरह का पहला आतंकी हमला है.
सूत्रों ने सोमवार को बताया कि ड्रोन किस हवाई मार्ग से आया, जांच अधिकारी अब तक इसका पता नहीं लगा पाये हैं. जांच अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज को खंगाला, जिसमें हवाईअड्डा की चारदीवारी पर लगे कैमरे भी शामिल हैं. हालांकि, सभी सीसीटीवी कैमरे सड़क किनारे लगे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि शहर के बाहरी इलाके में जम्मू हवाई अड्डे के तकनीकी क्षेत्र में विस्फोटक सामग्री गिराने वाले ड्रोन को या तो सीमा पार या रात के दौरान किसी अन्य गंतव्य के लिए उड़ा दिया गया. जम्मू हवाई अड्डे से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक हवाई दूरी 14 किमी है.
पाकिस्तान स्थित संदिग्ध आतंकवादियों का देश के किसी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान पर इस तरह का यह पहला ड्रोन हमला है. पंजाब के पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने ड्रोनों से राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष पैदा हुई चुनौतियों से निपटने की रणनीति बनाने के लिये सोमवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और राज्य पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक की.
केंद्रीय एजेंसियों के अनुसार, अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को 2019 में रद्द किये जाने के बाद से पाकिस्तान से लगी संवेदनशील सीमा पर 300 से अधिक ड्रोन और अज्ञात उड़न वस्तुएं (यूएवी) देखी गई हैं.
सेना के जवानों ने रत्नुचक-कालूचक स्टेशन के ऊपर उड़ रहे दो ड्रोन पर गोलीबारी की जो बाद में लापता हो गये. यह घटना रविवार तड़के जम्मू स्थित वायुसेना के स्टेशन पर दो ड्रोन से किए गए हमले के बाद हुई है.
अधिकारियों ने बताया कि एक ड्रोन रविवार देर रात पौने 12 बजे और दूसरा ड्रोन दो बजकर 40 मिनट पर देखा गया. सैनिकों के गोलियां चलाने के बाद वे वहां से उड़ गए. साल 2002 में यहां आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 10 बच्चों समेत 31 लोगों की मौत हुई थी.
सेना सतर्क, इलाके की हुई घेराबंदी
अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि सेना के सतर्क जवानों ने ब्रिगेड मुख्यालय के ऊपर उड़ रहे ड्रोन को मार गिराने के लिये लगभग दो राउंड गोलीबारी की. उन्होंने कहा कि तुरंत ही हाई अलर्ट जारी किया गया और त्वरित प्रतिक्रिया दल ने ड्रोन की ओर गोलीबारी की.
उन्होंने कहा, ‘दोनों ड्रोन वहां से लापता हो गये. सैनिकों की सतर्कता और सक्रियता से एक बड़े खतरे को टाल दिया गया.’ सुरक्षा बल अब भी सतर्क हैं और तलाशी अभियान जारी है.
अधिकारियों ने कहा कि सैन्य स्टेशन के बाहर के पूरे इलाके की तुरंत घेराबंदी कर दी गई और अंतिम रिपोर्ट मिलने तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी था. अधिकारियों ने कहा कि जमीन पर अब तक कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है.
कालूचक स्थित सैन्य स्टेशन 2002 के हमले के बाद से हाई अलर्ट पर है. उस हमले में तीन सैन्य कर्मियों, सैन्य परिवारों के 16 सदस्यों और 11 आम निवासियों समेत 31 लोगों की मौत हुई थी जबकि 48 लोग घायल हो गए थे.
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