नयी दिल्ली: भारत के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संस्थान डीआरडीओ ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों सहित चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए ‘बायो सूट’ विकसित किया है.
अधिकारियों ने बताया कि रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) की विभिन्न प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिकों ने मिलकर ‘बायो सूट’ विकसित किया है जो चिकित्सा पेशेवरों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की तरह काम करेगा.
उन्होंने बताया कि पूरे देश में पीपीई की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रतिदिन कम से कम 15,000 बायो सूट का उत्पादन करने के लिए कदम उठाया जाएगा.
भारत कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिक कर्मियों के लिए पीपीई की कमी का सामना कर रहा है. सरकार वैश्विक बाजार से पीपीई, वेंटिलेटर और एन-95 मास्क खरीदने पर विचार कर रही है.
रक्षा मंत्रालय ने बयान में बताया, ‘डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिकों ने वस्त्र, परत और नैनोटेक्नोलॉजी में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर पीपीई विकसित किया है जिसमें विशेष परत के साथ खास तरह के रेशों का इस्तेमाल किया गया है.’
मंत्रालय ने बताया, ‘ सूट को वस्त्र उद्योग की मदद से विभिन्न कसौटियों पर परखने के बाद तैयार किया गया है और इससे साथ ही कृत्रिम खून से रक्षा का परीक्षण भी किया गया है.’
बयान में कहा गया कि डीआरडीओ बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू करने की कोशिश कर रहा है ताकि कोरोना वायरस के संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और पैरामेडिक कर्मियों की पीपीई के लिए भारी मांग के अनुपात में इसकी आपूर्ति की जा सके.
मंत्रालय ने बताया कि मौजूदा समय में एक दिन में सात हजार बायो सूट बनाने की क्षमता है.
अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ और अन्य उद्योगों की साझेदारी में बायो सूट बनाने का काम ‘‘ सीम सीलिंग टेप’’ (जो आद्र कण को अंदर आने से रोकने के लिए लगाया जाता है) की अनुपलब्धता की वजह से बाधित हुआ. इसके बाद डीआरडीओ ने पनडुब्बी को जलरोधी बनाने में इस्तेमाल द्रव के आधार पर तैयार द्रव का इस्तेमाल सीम सीलिंग टेप की जगह बायो सूट में किया.
उन्होंने बताया कि डीआरडीओ विभिन्न सुरक्षा प्रतिष्ठानों और संगठनों को पूरे देश में डेढ़ लाख सेनेटाइजर की आपूर्ति कर रहा है.
अधिकारी ने बताया कि पांच परत वाले मास्क एन-99 नैनो टेक्नोलॉजी के आधार बनाये गये हैं और युद्धस्तर पर इसका उत्पादन किया जा रहा है. 10 हजार मास्क पहले ही बनाये जा चुके हैं और जल्द ही रोजाना 20 हजार ऐसे मास्क का उत्पादन किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि डीआरडीओ प्रयोगशाला ने दिल्ली पुलिस को 40 हजार मास्क की आपूर्ति की है.
अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ वेंटिलेटर में मामूली बदलाव कर रहा है ताकि एक ही वेंटिलेटर से एक बार में चार मरीजों के जीवन की रक्षा की जा सके.