अगरतला: त्रिपुरा में डॉ माणिक साहा ने बुधवार को अगरतला के स्वामी विवेकानंद मैदान में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है.
माणिक साहा के नेतृत्व वाले मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे. पी. नड्डा त्रिपुरा में मौजूद थे.
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही डॉ. माणिक साहा को (2022 में) बिपलव देब की जगह राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था.
इसके अलावा, रतन लाल नाथ, प्राणजीत सिंघ रॉय, सनातन चकमा और सुशांत चौधरी, टिंकू रॉय, बिकास देबबर्मा, सुधांशु दास और सुक्ला चरण नोआतिया ने त्रिपुरा के मंत्रियों के रूप में शपथ ली.
Tinku Roy, Bikash Debbarma, Sudhangshu Das and Sukla Charan Noatia take oath as Tripura Ministers, in Agartala. pic.twitter.com/cxme9ETULY
— ANI (@ANI) March 8, 2023
माणिक साहा 2016 में कांग्रेस से बीजेपी में आए. मुख्यमंत्री बनने से पहले बीते वर्ष मार्च के महीने में वे राज्यसभा के लिए चुने गए थे.
साठ सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में भाजपा ने 32 सीट पर जीत दर्ज की है, जबकि इसकी सहयोगी इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) को एक सीट मिली है. वहीं, बीजेपी के बाद तिपरा मोथा 13 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी.
लंबे वक़्त से ज़मीनी स्तर पर कार्य करने के बावजूद माणिक साहा कभी चुनाव के मैदान में नहीं उतरे थे, हालांकि मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद बीते वर्ष वे बारदोवाली सीट से उपचुनाव से मैदान में उतरे और चुने गए. इस सीट को हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने बरकरार रखा.
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘यह पहली बार है कि किसी भी वामपंथी विरोधी सरकार ने पिछले तीन दशकों में त्रिपुरा में अपनी सत्ता बरकरार रखी है हमें उम्मीद है कि त्रिपुरा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी’’
वर्ष 1988 में कांग्रेस-टीयूजेएस ने वाम दल को परास्त करके त्रिपुरा में सरकार बनाई थी, लेकिन यह गठबंधन वर्ष 1993 में वाम दल से हार गया था.
इस बीच वाममोर्चा के एक वरिष्ठ नेता रखाल मजुमदार ने बताया कि विपक्षी दलों मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस ने राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के विरोध में भाजपा-आईपीएफटी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
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