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Monday, 4 November, 2024
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दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से दर्जनों बसें रवाना, कोरोनावायरस पर देर से खुल रही सरकार की आंखें

लॉकडाउन की घोषणा के अगले दिन से शुरू हुए इस पलायन का सिलसिला बदस्तूर जारी है. अभी तक कई बसों में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को भरकर उनके राज्यों की तरफ़ ले जाया गया है.

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नई दिल्ली: इंटरनेट पर शनिवार को जब आनंद विहार के बस अड्डे से आईं विचलित कर देने वाली तस्वीरें वायरल हुईं तो कोरोना लॉकडाउन से जुड़ी सरकार की तैयारी पर कई गंभीर सवाल खड़े होने लगे. हालांकि, रविवार की शाम ढलते-ढलते वहां मौजूद लाख़ों लोगों को बसों में भरकर दिल्ली के बॉर्डर और उत्तर प्रदेश ले जाया गया.

दिल्ली पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों ने आनंद विहार बस अड्डे के प्रवेश द्वार को रविवार को घेरा रखा था. हालात का पूरा जायज़ा लेने से पत्रकारों को रोकने के लिए ना तो बस अड्डे में प्रवेश की अनुमति थी और ना ही साथ के फुट ओवर ब्रिज पर. यहां मौजूद सैंकड़ों की भीड़ में बेबस लोग किसी कीमत पर अपने घर जाने को तरसते नज़र आए.

इसी भीड़ में उत्तर प्रदेश के औरैया की 80 साल की रेणु देवी भी मौजूद थीं. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली इलाज कराने आए थे लेकिन यहीं फंस के रह गए. सांस लेने में तकलीफ़ होती है. उसी का इलाज कराने आए थे.’ उन्होंने कहा कि दिल्ली इसलिए छोड़ रही हैं क्योंकि यहां खाने की बहुत समस्या है.

रेणु देवी की बहू पिंकी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से कमाने खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्होंने सवाल किया, ‘आप ही बताइए कि ऐसे में कैसे गुज़ारा करें?’ उनका ये भी कहना है कि यहां भूखे मरने से बढ़िया हैं कि घर पहुंच जाएं. वहां वो अपने लोगों में तो रहेंगी.’

वहीं, दिल्ली लौटने के सवाल पर वो कहती हैं कि अब कब लौटेंगे या नहीं इसका कोई भरोसा नहीं है. ऐसी मानवीय त्रासदी के बीच राहत भरी बात ये है कि इन लोगों की मदद करने के लिए शहर का एक बड़ा हिस्सा उठ खड़ा हुआ है.

दर्जनों गाड़ियां सड़क पर मारे-मारे फिर रहे इन लोगों को खाना, पानी और आगे के सफ़र में काम आने वाली चीज़ें मुहैया करा रही हैं. इन सबके बीच सरकार ने सफ़ाई ना सही, उसका भ्रम ज़रूर दिया है. दिल्ली हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से सैनिटाइज़ेशन का काम कर रहे दीपक शर्मा इन लोगों के बैगों पर एक केमिकल छिड़कते मिले.

दीपक ने बताया, ‘इसमें सोडियम और एल्कोहल जैसी चीज़ें मिलाई हैं. हमें बोला गया है कि लोगों के बैग और बसों की हैंडरेल को सैनिटाइज़ करना है.’ टैंकर, सिलेंडर और गैलन में अलग-अलग तरह के केमिकल से ये लोग पुलिस की लाठी तक को सैनिटाइज़ करने का काम कर रहे थे.

ऐसी सैनिटाइज़ेशन के बीच ज़्यादातर प्रवासियों के मुंह पर मास्क जैसी कोई चीज़ दूर-दूर तक नहीं थी. देश भर से ऐसी कई ख़बरें आई हैं कि कोरोनावायरस की मार से जो लोग गांव लौट रहे हैं उन्हें उनके ही गांव में एंट्री नहीं मिल रही. ऐसे ही एक सावल के जवाब में यूपी के मुरादाबाद के धर्मपाल कहते हैं कि उनकों गांव में बायकॉट का कोई डर नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘मुरादाबाद जाना है क्योंकि दिल्ली में ना खाना बचा ना ठिकाना. मरना तो एक दिन सबको है या तो भूख से मर जाएं या बीमारी से. बस कैसे भी गांव पहुंच जाएं.’ जितने लोग इस विपदा की घड़ी में दिल्ली छोड़ रहे हैं, कमोबेश सबकी राय धर्मापाल जैसी ही है.

इन लोगों को यूपी बॉर्डर तक छोड़ने के काम में लगे डीटीसी बस चालक सरफराज आलम ने कहा, ‘हम दिल्ली सरकार की तरफ़ से डीटीसी बस लेकर आए हैं. हमें इन लोगों को 50 किलोमीटर तक छोड़ने को कहा गया है. उसके बाद वहां से इन्हें बड़ी बसें आगे ले जाएगी.’

लॉकडाउन की घोषणा के अगले दिन से शुरू हुए इस पलायन का सिलसिला बदस्तूर जारी है. अभी तक कई बसों में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को भरकर उनके राज्यों की तरफ़ ले जाया गया है. बावजूद इसके कई लोग अभी भी दिल्ली की सड़कों पर भटकते नज़र आ रहे हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी की मन की बात से लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस तक में इनकी कोई चर्चा नहीं है. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो बसें भेजने का एक्शन भी लिया. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इस मामले में हेल्पलाइन जारी करके पल्ला झाड़ लिया है.

दिल्ली में यूपी-बिहार के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है. अचानक से की गई लॉकडाउन की घोषणा की वजह से इनमें घबराहट का माहौल है. ऐसे में अगर कोई स्पष्ट नीति नहीं बनती तो इनका पलायन आने वाले दिनों में भी जारी रहने की आशंका है.

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