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Saturday, 18 May, 2024
होमदेश'जबतक बोला न जाए, CBI पीड़ितों का बयान न लें', SC ने मणिपुर वायरल वीडियो मामले की जांच पर लगाई रोक

‘जबतक बोला न जाए, CBI पीड़ितों का बयान न लें’, SC ने मणिपुर वायरल वीडियो मामले की जांच पर लगाई रोक

कोर्ट ने कहा कि जब तक दोबारा आदेश नहीं दिया जाता तब तक सीबीआई को इस मामले की जांच नहीं करनी चाहिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस के बातों से सहमति जताई.

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नई दिल्ली: मणिपुर की दो महिलाओं का वीडियो वायरल होने के बाद सीबीआई जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पीड़िताओं के बयान लेने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ के सामने यह मुद्दा उठाया गया कि पीड़ित महिलाओं को बार बार एक ही बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो अमानवीय है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक पीड़िता से बयान ने लेने को कहा है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कहा कि मामले का फैसला दो बजे दिया जाएगा, तबतक सीबीआई हमारे फैसले का इंतजार करे. 2 बजे कोर्ट ने कहा कि जब तक दोबारा आदेश नहीं दिया जाता तब तक सीबीआई को इस मामले की जांच नहीं करनी चाहिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस के बातों से सहमति जताई.

इससे पहले बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई करते हुए पूछा कि तीन मई को जारी हिंसा के बाद अबतक कितनी एफआईआर दर्ज हुई है.  सीजेआई ने कहा था, “हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा को देखते हुए एक व्यवस्था बनानी होगी. इस व्यवस्था में यह सुनिश्चित करनी होगी कि इस तरह के सभी मामले सामने आए.”

उन्होंने आगे कहा था कि जब महिलाओं के साथ घटना 4 मई को हुई तो एफआईआर 18 मई को क्यों दर्ज की गई. पुलिस 18 मई तक क्या कर रही थी.

बता दें कि मणिपुर में भीड़ द्वारा दो महिलाओं निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. बाद में महिलाओं ने आरोप लगाया था कि भीड़ में मौजूद लोगों ने उनसे साथ बलात्कार भी किया था.

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लगभग 3 महीने से हिंसा जारी

बता दें कि मणिपुर में लगभग तीन महीने से हिंसा का दौर जारी है. बीते 3 मई को ऑल ट्राइबर स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला था, जिसके बाद मणिपुर में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों  के बीच हिंसक झड़प हुई. इसके बाद पूरे राज्य में कुकी और मैतई समुदाय के बीच झड़प शुरू हो गई. हिंसा के कारण अब तक मणिपुर में 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 50 हजार से भी अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं.

मणिपुर में मैतेई समुदाय की जनसंख्या कुल  जनसंख्या का लगभग 53 प्रतिशत है जिसमें अधिकतर हिंदू है. वहीं कुकी समुदाय की आबादी लगभग 40 प्रतिशत है.


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