कोलकाता, 19 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने ‘डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम’ के धरने को लेकर सोमवार को कहा कि ‘‘राज्य सरकार उनकी नौकरी बचाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कानून के दायरे में हर संभव कदम उठा रही है कि उन्हें वेतन मिलता रहे’’, इसके बावजूद वे फिर आंदोलन कर रहे हैं।
फोरम के लगभग 1,000 प्रदर्शनकारी 15 मई से ही बहाली की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं।
शिक्षक यह भी कह रहे हैं कि उन्हें नयी भर्ती परीक्षा में शामिल होने की जरूरत नहीं है और उनका तर्क है कि वे पहले ही 2016 की पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) परीक्षा पास कर चुके हैं तथा तब से बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों में वे शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन उन 25,753 शिक्षकों की सूची में शामिल थे जिन्हें न्यायालय ने अमान्य करार दिया था। न्यायालय ने भर्ती प्रक्रिया को ‘‘भ्रष्ट’’ करार दिया था।
संवाददाताओं से बातचीत में बसु ने विरोध-प्रदर्शनों के बढ़ने, खासकर 15 मई को राज्य शिक्षा मुख्यालय विकास भवन के गेट के बाहर घेराव करने पर निराशा व्यक्त की।
बसु ने कहा, ‘‘मैं समझ नहीं पा रहा कि सरकार ने कई मौकों पर उनके साथ बैठकर और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के परामर्श से उच्चतम न्यायालय का रुख करने सहित सभी कानूनी कदम उठाए, उसके बाद उन्होंने ऐसा क्यों किया।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों की सहायता के लिए हर संभव कदम उठाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उनके नाम जिला स्कूल निरीक्षक के कार्यालयों को भेजे थे और उन्हें वेतन मिल रहा है। कई लोग अपने कार्यस्थलों पर लौट आए थे। अब मुझे नहीं पता कि वे अचानक आंदोलन क्यों करने लगे। हम नहीं चाहते कि उनके सेवा रिकॉर्ड में कोई दाग लगे।’’
शिक्षकों की नयी भर्ती परीक्षा में नहीं बैठने की मांग पर बसु ने स्पष्ट किया, ‘‘एसएससी उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत सख्ती से काम कर रहा है। हम अदालत के निर्देशों को दरकिनार कर काम नहीं कर सकते।’’
भाषा खारी अविनाश
अविनाश
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