scorecardresearch
मंगलवार, 3 जून, 2025
होमदेशनहीं जानते कि अब उन्हें अनौपचारिक रूप से संबोधित कर सकेंगे या नहीं: मुर्मू के मित्र

नहीं जानते कि अब उन्हें अनौपचारिक रूप से संबोधित कर सकेंगे या नहीं: मुर्मू के मित्र

Text Size:

(अरविंद मिश्रा)

रायरंगपुर (ओडिशा), 24 जुलाई (भाषा) नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ लेने वाली हैं, इसबीच उनके पुराने घर के पड़ोसी और मित्र इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि अगली बार जब वे उनसे मिलेंगे तो अपने मित्र को कैसे संबोधित करेंगे।

ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव के किसान रामचंद्र मुर्मू ने कहा,‘‘ नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के गृहनगर में सभी को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि बातचीत के क्रम में मुझे ‘तू’ (अनौपचारिक संबोधन) का प्रयोग करना चाहिए या ‘आप’ (सम्मान के साथ औपचारिक संबोधन) का।’’

रामचंद्र, जो उपरबेड़ा के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में उनके सहपाठी थे, ने याद किया कि दोनों अक्सर स्कूल परिसर में एक ही थाली से खाना खाते थे।

उन्होंने अपने खेत के काम से विराम लेते हुए कहा, ‘‘हम सभी ने एक साथ खेल गतिविधियों में भाग लिया। इन सभी वर्षों में मैंने उन्हें संबोधित करने के लिए ‘तू’ का इस्तेमाल किया है। चीजें अब बदल गई हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं भारत के पहले नागरिक के लिए ‘तू’ का उपयोग कर सकता हूं या नहीं। आखिर एक किसान और राष्ट्रपति के लिए चीजें समान कैसे हो सकती हैं।’’

मुर्मू के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘उनके परिवार के पास जमीन-जायदाद थी, जिससे राजस्व नहीं होता था। वह एक सीधी-सादी और मिलनसार लड़की थीं।’’

मुर्मू के एक अन्य मित्र गोविंद मांझी ने कहा कि वह आखिरी बार मुर्मू से तब मिले थे, जब वह झारखंड की राज्यपाल थीं। उन्होंने कहा, ‘‘वह झारखंड के राज्यपाल के रूप में मेरे घर आई थीं, उस समय, हमने हमेशा की तरह बातचीत की। वह जमीन से जुड़ी इंसान हैं। इसमें कोई औपचारिकता शामिल नहीं थी। अब, हालांकि, मुझे नहीं पता कि क्या मैं देश के राष्ट्रपति के साथ अनौपचारिक रूप से बात कर सकता हूं।’’

मांझी ने भी अपने स्कूल के दिनों की यादों का जिक्र किया और कहा, ‘‘वह स्कूल में सबसे मेधावी छात्रों में से थीं। गरीबी के कारण मुझे पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वह अक्सर मुझे अपने घर भोजन पर बुलाती थी। मुझे उनके घर पर ‘पाखल भात’ याद है।’’

1958 में एक संथाल परिवार में जन्मीं मुर्मू ने उपरबेड़ा के सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा सात तक पढ़ाई की और फिर भुवनेश्वर के सरकारी बालिका उच्च विद्यालय में चली गईं। उन्होंने रामादेवी महिला कॉलेज से स्नातक किया।

उनकी कॉलेज की साथी सुचित्रा सामल ने कहा कि राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर भी वह वैसी ही थीं जैसी पहली बार की मुलाकात में। सामल ने कहा, ‘‘जब उन्होंने मुझे दो दिन पहले फोन किया तो मुझे सुखद आश्चर्य हुआ। मैं उनके व्यस्त कार्यक्रम के बीच उनके फोन की उम्मीद नहीं कर रही थी। मैंने उनकी सफलता पर पहले उन्हें शुभकामना दी।’’

सामल, डांगी मुर्मू के साथ कुछ साल पहले झारखंड राजभवन में द्रौपदी से मिली थीं। डांगी ने कहा, ‘‘हमने पुराने दिनों को याद करते हुए एक मजेदार समय बिताया। हमने खूब सारी बातें कीं,हंसी-मजाक किया और अपने जीवन की जानकारी साझा की। द्रौपदी सामान्य, शांत स्वभाव की थीं।’’

सामल को जल्द ही राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें वहां का कार्यभार संभालने दीजिए, हम वहीं जाकर उससे मिल लेंगे।’’

भाषा सुरभि शोभना

शोभना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments