नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक विवाद में उलझे एक दंपति को फटकार लगाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वे “महाराजा” की तरह व्यवहार न करें, क्योंकि देश में 75 साल से अधिक समय से लोकतंत्र कायम है।
शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी दंपति में शामिल एक पक्ष पर लक्षित थी, जो कथित तौर पर शाही वंश से ताल्लुक रखता है।
न्यायालय ने मामले में अहंकार के टकराव को भी रेखांकित किया।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दंपति के वकीलों से अपने मुवक्किलों से बात करने और अदालत को उनकी मंशा से अवगत कराने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, “इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं कि मध्यस्थता की कोशिश नाकाम हो गई है? राजा-महाराजा की तरह व्यवहार न करें। लोकतंत्र की स्थापना को 75 साल बीत चुके हैं।”
पीठ ने चेतावनी दी कि अगर मध्यस्थता के माध्यम से कोई समाधान नहीं निकला, तो वह तीन दिनों के भीतर “कठोर” आदेश पारित करने से नहीं हिचकिचाएगी।
ग्वालियर की रहने वाली महिला ने दावा किया कि वह बेहद प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती है, जिसके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल थे और उन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था।
दूसरी ओर, उसके पति ने कहा कि वह सैन्य अधिकारियों के परिवार से आता है और मध्यप्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान का संचालन करता है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए ऑर्डर की गई 1951 मॉडल की प्राचीन हस्तनिर्मित क्लासिक रोल्स रॉयस कार, जो अपने मॉडल की एकमात्र कार है और जिसकी मौजूदा कीमत 2.5 करोड़ रुपये से अधिक है, मामले में विवाद की जड़ है।
दोनों पक्षों की ओर से पेश वकीलों ने अदालत को बताया कि विवाद मुख्यतः धन पर केंद्रित है।
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “हम जानते हैं कि मामले में केवल अहंकार के कारण समझौता नहीं हो पाया है। अगर विवाद पैसे को लेकर है, तो उसे अदालत सुलझा सकती है, लेकिन इसके लिए पक्षों को आम सहमति पर पहुंचना होगा।”
पीठ ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए निर्धारित कर दी।
दंपति के बीच मध्यस्थता के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने 22 अप्रैल को पीठ को सूचित किया था कि मामले में दोनों पक्षों को स्वीकृत समाधान तक नहीं पहुंचा जा सका है।
उन्होंने पीठ से दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति वाले समाधान की संभावना तलाशने के लिए “एक अंतिम प्रयास” करने का मौका देने का अनुरोध किया था।
महिला ने आरोप लगाया है कि अलग रह रहे उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज में रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट की मांग को लेकर उसे परेशान किया। हालांकि, उसके पति ने आरोप से इनकार किया है।
महिला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है, “जब प्रतिवादियों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उन्होंने शादी को मानने से इनकार करना शुरू कर दिया और याचिकाकर्ता के खिलाफ झूठे एवं तुच्छ आरोप लगाने लगे तथा उसका चरित्र हनन शुरू कर दिया।”
पति ने अलग रह रही पत्नी, उसके माता-पिता और रिश्तेदारों के खिलाफ विवाह प्रमाण पत्र तैयार करने में धोखाधड़ी और जालसाजी करने का मामला दर्ज कराया, जबकि महिला ने दहेज उत्पीड़न और क्रूरता का मामला दर्ज कराया।
उच्च न्यायालय ने महिला की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह “बाद में की गई कार्रवाई” थी।
भाषा पारुल माधव
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