चेन्नई, 27 जून (भाषा) ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के शीर्ष नेता ई. के. पलानीस्वामी ने बृहस्पतिवार को यह सवाल किया क्या मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और उनकी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) को द्रविड़ नेता सी. एन. अन्नादुरई का नाम लेने का नैतिक अधिकार है।
पलानीस्वामी का यह तीखा बयान स्टालिन के इस तंज के बाद आया कि ‘‘अन्नाद्रमुक ने अन्ना के नाम को ही गिरवी रख दिया है।’’
पलानीस्वामी ने एक बयान में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री स्टालिन ने द्रमुक के चार साल के शासन में जनता के लिए कुछ नहीं किया।
उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक की स्थापना वर्ष 1972 में दिवंगत नेता एम. जी. रामचंद्रन ने इसलिए की थी क्योंकि करुणानिधि ने अन्ना की विचारधारा को ‘दफना दिया था’ और द्रमुक को ‘लूट के पारिवारिक अड्डे’ में बदल दिया था।
पलानीस्वामी ने कहा, ‘‘हम अन्ना को एक दिन, एक मिनट के लिए भी नहीं छोड़ सकते। वह केवल हमारी पार्टी के नाम और ध्वज में नहीं, बल्कि हमारे रक्त में भी हैं।’’
पलानीस्वामी ने कहा कि द्रमुक की ‘परिवारवादी राजनीति’ अन्ना की विचारधारा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि स्टालिन की नीति ‘कमीशन, कलेक्शन और भ्रष्टाचार’ की है, इसलिए उन्हें पेरियार और अन्ना को लेकर अन्नाद्रमुक को उपदेश देने की जरूरत नहीं है।
पलानीस्वामी ने दावा किया कि वर्ष 2026 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ‘‘शांति, समृद्धि, विकास और राज्य के अधिकारों को वापस लाया जाएगा, जिन्हें द्रमुक ने छीन लिया है।’’
वेल्लोर के पास तिरुपत्तूर में एक सरकारी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री स्टालिन ने अन्नाद्रमुक पर हमला करते हुए कहा था, ‘‘उन्होंने अन्ना का नाम गिरवी रख दिया है। जिन्होंने अपनी पार्टी को गिरवी रख दिया, उन्हें कल तमिलनाडु को गिरवी रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’
उन्होंने जनता से अपील की कि तमिलनाडु और यहां के लोगों के खिलाफ हो रही साजिश को समझें और अन्नाद्रमुक तथा भाजपा को करारा जवाब दें।
अन्नादुरई का निधन तीन फरवरी, 1969 को हुआ था। वह 1967 से 1969 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहें।
भाषा राखी वैभव
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