नई दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार, राज्य विधानसभा के लिए केवल स्कूल स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले या बिना स्कूली शिक्षा वाले उम्मीदवार को चुनने की बजाया किसी स्नातक का चुनाव करने से निर्वाचन क्षेत्रों के लिए बिजली की पहुंच बेहतर हो सकती है.
हालांकि, ‘इज इकोनॉमिक डेवेलपमेंट अफेक्टेड बाइ दि लीडर्स एजुकेशन लेवेल्ज़ (‘क्या आर्थिक विकास नेताओं के शिक्षा स्तर से प्रभावित होता है)’ शीर्षक से किए गये इस अध्ययन में कहा गया है कि किसी विधायक के शिक्षण स्तर का सार्वजनिक सुविधाओं के समग्र वितरण पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ता है.
दिल्ली स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इनीशिएटिव फॉर इम्पैक्ट इवैल्यूएशन (आईआईआईई) के चंदन जैन द्वारा संचालित इस अध्ययन को – हेलसिंकी, फ़िनलैंड स्थित एक अन्य थिंक टैंक यूनाइटेड नेशन्स यूनिवर्सिटी वर्ल्ड इंस्टीट्यूट फॉर डेवेलपमेंट इकोनॉमिक्स रिसर्च (यूएन वाइडर) द्वारा वित्त पोषित और इसी महीने जारी किया गया था.
जैन और उनके सहयोगियों ने विकास के संकेतकों पर किसी जन प्रतिनिधि के शिक्षा स्तर के प्रभाव की पड़ताल करने की कोशिश करते हुए 2009 से 2013 के बीच की अवधि के लिए भारत के चुनाव आयोग की वेबसाइट से प्राप्त विधानसभा चुनाव के आंकड़ों का इस्तेमाल किया.
लेखकों ने 10,898 प्रतिभागियों के डेटा का अध्ययन किया – इसमें 6,619 स्नातक और उससे ऊपर (स्नातकोत्तर या डॉक्टरेट स्तर) की शिक्षा वाले थे, 1,639 12वीं पास थे, और बाकी, 2,640, का शैक्षिक स्तर उससे भी कम था.
मोटे तौर पर, लेखकों ने आर्थिक विकास को मापने के लिए रात के समय की रोशनी के बारे में उपलब्ध डेटा का इस्तेमाल किया: इसके लिए, उन्होंने अपने अध्ययन के यूएस एयर फोर्स डिफेन्स मैटेरोलॉजिकल सेटिलाइट प्रोग्राम्स ऑपरेशनल लाइन स्कॅन सिस्टम (डीएमएसपी-ओएलएस) के तहत काम कर रहे कई उपग्रहों द्वारा कैप्चर की गई तस्वीरों का इस्तेमाल किया.
रात की रोशनी बिजली या ऊर्जा के स्रोत तक पहुंच का वास्तविक समय वाला मापक है. इसका उपयोग विश्व बैंक सहित कई शोधकर्ताओं द्वारा विकास के स्तर को मापने के एक उपाय के रूप में किया जाता है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, रात के समय की रोशनी का उपयोग जनसंख्या का आकलन करने, दूरदराज के क्षेत्रों के विद्युतीकरण का आकलन करने, आपदाओं और संघर्ष की निगरानी करने और बढ़ते हुए प्रकाश प्रदूषण के जैविक प्रभावों को समझने के लिए किया जाता है.
इसके अलावा, लेखकों ने सार्वजनिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के आंकड़ों के लिए 2011 की जनगणना का भी इस्तेमाल किया. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) – अपराध के आंकड़ों को एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार संघीय एजेंसी – से प्राप्त डेटा, और निर्वाचित प्रतिनिधियों की संपत्ति की जानकारी के लिए एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स से प्राप्त डेटा का भी इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि, लेखकों ने स्वीकार किया कि उनका अध्ययन पुराने डेटा सेट की वजह से सीमित था.
इस अध्ययन में लेखकों का कहना है, ‘हमारा डेटा 2009 से 2013 तक की अवधि तक फैला है, क्योंकि इसके साथ उम्मीदवारों की विशेषताओं और उससे तुलनीय रात की रोशनी पर जानकारी की उपलब्धता जैसी सीमाएं जुड़ी हैं.’
‘सार्वजनिक सुविधाओं, सड़कों, बिजली और ऊर्जा से संबंधित डेटा की प्रकृति क्रॉस-सेक्शनल (एक दूसरे का साथ जुड़ी हुई) हैं, यह उस हद को सीमित करते हैं जिससे कि हम इन आंकड़ों के आधार पर कोई निष्कर्ष निकाल सकते हैं.’
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स्नातक बनाम गैर स्नातक विधायक
लेखकों ने विकास के संकेतकों पर शिक्षा के प्रत्येक स्तर के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए विधायकों को तीन प्राथमिक श्रेणियों में विभाजित किया – एक, जिन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की है, दूसरी, 12वीं पास (हाई स्कूल समाप्त कर चुके हैं), और तीसरे, स्नातक.
इस अध्ययन में कहा गया है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की उच्च शिक्षा का स्तर रात की रोशनी में वृद्धि में तब्दील होता है.
अध्ययन में कहा गया है, ‘हमारे पसंदीदा विनिर्देश (स्पेसिफिकेशन्स) के अनुसार, किसी नज़दीकी चुनाव में गैर-स्नातक उम्मीदवार पर स्नातक उम्मीदवार को चुनने के परिणामस्वरूप रात की रोशनी की वार्षिक औसत वृद्धि दर में 3.28 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.’
अध्ययन में आगे कहा गया है कि स्कूली शिक्षा पूरी नहीं करने वाले व्यक्ति की जगह 12वीं पास नेता का चुनाव करने से रात के समय रोशनी की व्यवस्था में वृद्धि पर न के बराबर प्रभाव पड़ा है.
अन्य कारकों पर पड़ने वाला प्रभाव
अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि स्नातक विधायक का चुनाव सार्वजनिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर कुछ हद तक सकारात्मक प्रभाव डालता है, लेकिन यह उतना खास भी नहीं है.
अध्ययन के अनुसार, ‘जिन घरों में प्रकाश के मुख्य स्रोत के रूप में बिजली की पहुंच है, उनका प्रतिशत स्नातक उम्मीदवार चुने जाने पर 5.3 प्रतिशत अंक अधिक हो जाता है’. अध्ययन में इसके लिए साल 2011 की जनगणना के घरेलू स्तर के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है.
जब सड़कों और बिजली की आपूर्ति को एक साथ लिया गया, तो अध्ययन से पता चला कि स्नातक उम्मीदवार को चुनने से सार्वजनिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे में कोई खास बदलाव नहीं आया.
अध्ययन में कहा गया है, ‘हमने पाया कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में सार्वजनिक सुविधाओं के समग्र प्रावधान पर किसी स्नातक नेता के चुनाव जीतने का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं है.’
एनसीआरबी से प्राप्त के आंकड़ों के आधार पर, शोधकर्ताओं ने स्थानीय अपराध के सन्दर्भ में गैर-स्नातक विधायकों की तुलना में स्नातक विधायकों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र में रिपोर्ट किए गए पुलिस मामलों की संख्या की भी जानकारी जुटाई.
इस बारे में अध्ययन में आगे कहा गया है, ‘अपराध के सामने आने के संबंध में, हम पाते हैं कि किसी जिले में स्नातक विधायकों के अनुपात में औसतन 10 प्रतिशत की वृद्धि से उस निर्वाचन क्षेत्र में रिपोर्ट किए गए अपराध में 1.2 से 1.9 प्रतिशत की गिरावट आती है.’
अध्ययन ने गैर-स्नातक विधायकों की तुलना मे स्नातक विधायकों की संपत्ति में शुद्ध वृद्धि की भी पड़ताल की और पाया कि स्नातक विधायक के चुनाव का भ्रष्टाचार पर भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा.
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