नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) हिंदी में भारत के पहले थिसारस ‘समांतर कोश’ के रचयिता अरविंद कुमार सिर्फ 15 साल की उम्र में एक प्रिटिंग प्रेस में ‘टाइपसेटर’ (अक्षर योजक) के तौर पर काम करने लगे थे।
एक लेखक-पत्रकार-कोशकार के तौर पर सात दशक से अधिक समय के उनके जीवन और कार्य पर अब 48 मिनट का वृत्तचित्र बनाया गया है। इस फिल्म का निर्देशन संजय शर्मा ने किया है और इसके निर्माता ‘अरविंद लिंग्विस्टिक्स एलएलपी’ की ओर से मीता लाल हैं। यह फिल्म यहां मंगलवार को रिलीज़ की गई।
बाद में कुमार ने हिंदी फिल्म पत्रिका ‘माधुरी’ और ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ के हिंदी संस्करण ‘सर्वोत्तम’ समेत कई मीडिया प्रकाशनों का नेतृत्व किया।
लेकिन उनकी असली विरासत 1,60,000 से अधिक हिंदी भावों के संकलन में निहित है जो 20 साल के शोध के बाद सामने आई थी। इसे 1996 में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने प्रकाशित किया था।
द्विभाषी वृत्तचित्र ‘शब्द सारथी अरविंद कुमार/थिसारस मैन अरविंद कुमार” उत्तर प्रदेश के शहर मेरठ की गलियों से लेकर एक प्रिंटिग प्रेस में ‘टाइपसेटर’ के तौर पर पहली नौकरी तक और फिर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की ‘माधुरी’ पत्रिका के 33 साल की आयु में सबसे कम उम्र के संपादक बनने तक के उनकी जीवन को रेखांकित करती है। उनका जन्म मेरठ में 1930 में हुआ था।
हिंदी में एक कोश संकलित करने का उनका लंबे समय से सपना था जिसने उन्हें 1978 में अपना पेशा छोड़ने और इस काम के लिए अपना समय समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।
आयोजकों ने कहा, “ जिस उम्र में जब हम में से अधिकांश लोग सेवानिवृत्ति की योजना बनाना शुरू करते हैं, उन्होंने सपने देखने की हिम्मत की और खुद को अपने महत्वाकांक्षी मिशन के लिए समर्पित कर दिया… यह एक व्यक्ति के परिश्रम और समर्पण की कहानी है। सभी के लिए एक प्रेरणा है।”
कुमार का 26 अप्रैल 2021 को कोविड-19 से निधन हो गया था।
भाषा
नोमान वैभव
वैभव
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