नई दिल्लीः हरियाणा में डॉक्टर्स अपनी मांगों को लेकर 14 जनवरी से हड़ताल पर जाने वाले थे. लेकिन सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए डॉक्टर्स की मांगों पर विचार किया जिससे डॉक्टरों ने हड़ताल न करने का फैसला लिया है.
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ जसबीर सिंह पंवार ने कहा, ‘सरकार के साथ गुरुवार को इस मामले में मीटिंग हुई जिसमें हमारी मांगों को 2 से 3 हफ्ते में पूरी करने को कहा गया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें विश्वास है कि सरकार हमारी सभी मांगों को पूरा करेगी. चूंकि कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स हड़ताल नहीं करना चाह रहे थे लेकिन मजबूरी में हमें स्ट्राइक पर जाने का फैसला करना पड़ा था. लेकिन चूंकि सरकार ने हमारी मांगे मान ली हैं इसलिए अब फिलहाल हम हड़ताल पर नहीं जाएंगे.’
वहीं हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि सभी मुद्दों को सुना गया है और जल्द से जल्द इसे हल करने की कोशिश की जाएगी.
क्या थीं मांगें
डॉक्टरों की तीन मांगें थी- पहली हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज के डॉक्टरों को हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एडमिशन के लिए 40 फीसदी का रिजर्वेशन दिया जाए. दूसरा एसएमओ की सीधी भर्ती न की जाए. तीसरा स्पेशलिस्ट काडर बनाया जाए.
पीजी एडमिशन में 40 फीसदी का रिजर्वेशन
डॉक्टर्स की मांग थी कि हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज के डॉक्टर्स को हरियाणा पीजी मेडिकल कॉलेजों में 40 फीसदी का रिजर्वेशन दिया जाए. ताकि जो डॉक्टर्स राज्य में काम कर रहे हैं उन्हें काम करने का प्रोत्साहन मिले. गुरुग्राम आईएमए के डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट डॉ केशव का कहना है कि, ‘इससे डॉक्टर्स को राज्य में नौकरी करने के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा क्योंकि राज्य में डॉक्टरों की भारी कमी है.’ उन्होंने कहा कि इस वक्त राज्य में लगभग 3 हजार डॉक्टर्स हैं जबकि जरूरत कम से कम 10 हजार डॉक्टर्स की है. ऐसे में अगर में रिजर्वेशन दिए जाने से इनकी संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी.’
एसएमओ के पद पर सीधी भर्ती न हो
एसएमओ के पद पर सीधी भर्ती होने के वजह से तमाम एमओ के पद पर तैनात डॉक्टर्स जो कि 6-7 साल की सेवा दे चुके थे उनको मौका नहीं मिलता था जबकि 3-4 साल के अनुभव वाले डॉक्टर्स को सिर्फ इंटरव्यू के आधार पर एसएमओ के पद पर भर्ती कर लिया जाता था. साथ ही ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं के रिश्तेदारों को भी इन पदों पर भर्ती किए जाने का आरोप लगता रहा है. डॉ. जसबीर ने बताया कि हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री के साथ वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के जरिए हुई मीटिंग में इस पर रोक लगाने और इससे जुड़ी पॉलिसी एक हफ्ते में बनाने का फैसला लिया गया है.
स्पेशलिस्ट काडर के लिए राजी हुई सरकार
डॉ. जसबीर के मुताबिक सरकार स्पेशलिस्ट काडर बनाने पर भी राजी हो गई है. उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री द्वारा इस पर स्वीकृति दे दी गई है और सभी वित्तीय और कानूनी पक्षों को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द इसके लिए कानून बना दिया जाएगा. बता दें कि मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, झारखण्ड इत्यादि राज्यों में भी स्पेशियलिटी काडर है, जिससे सर्विस पीरियड में डॉक्टरों को छुट्टी देकर पीजी करवाया जाता है और फिर वापस आने पर वैसी सेवा में लिया जाता है.
आईएमए है साथ में
आईएमए हरियाणा स्टेट ब्रांच के पास्ट प्रेसिडेंट डॉ करन पुनिया ने दिप्रिंट को बताया कि वे डॉक्टरों के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार डॉक्टरों की मांगों को पूरा नहीं करती है तो डॉक्टर्स फिर से हड़ताल पर जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में आईएमए उनका साथ देगा. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स की मांगें पूरी तरह से जायज़ हैं ऐसी स्थिति में सरकार को उनकी बात माननी चाहिए न कि एस्मा लगाकर हड़ताल करने से कानूनी रोक लगानी चाहिए.
पत्र लिखकर HCMS रखी थी मांग
इससे पहले हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने 4 जनवरी को एक पत्र लिखकर सरकार के सामने अपनी मांगों को रखा था और कहा था कि अगर सरकार उनकी मांगों को 10 जनवरी तक नहीं मांनती है तो वे 11 तारीख से ओपीडी सेवाओं को बंद कर देंगें और मजबूरन उन्हें 14 जनवरी से सभी सेवाओं को बंद करके हड़ताल पर जाना पडे़गा. दिप्रिंट ने इस पत्र को देखा है और उसके पास इसकी प्रति सुरक्षित है.
पत्र में कहा गया था कि डॉक्टर्स बिना थके और अपनी जान को खतरे में डालकर आम लोगों के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. ऐसे में सरकार उनकी मांगों को मान ले.
यह भी पढ़ेंः हरियाणा में ESMA लागू, फिर भी 14 जनवरी से पूरी तरह हड़ताल पर जाएंगे डॉक्टर्स