नयी दिल्ली, 23 फरवरी (भाषा) ‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (एफओआरडीए) ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को पत्र लिखकर कहा है कि नीट-पीजी काउंसलिंग 2021 में देरी के खिलाफ आंदोलन के दौरान दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों ने डॉक्टरों को अनुपस्थित दिखाया है और उनका वेतन काट लिया गया है।
रेजिडेंट डॉक्टर्स फोरम ने जैन से इस मुद्दे के समाधान के लिए जरूरी उपाय करने का अनुरोध किया।
पत्र में कहा गया है, “ कई बार देरी और नीट-पीजी काउंसलिंग 2021 के स्थगित होने के कारण रेजिडेंट डॉक्टरों के नए बैच को प्रवेश न मिलने के कारण स्वास्थ्य संस्थानों में रेजिडेंट डॉक्टरों के मौजूदा बैच को अधिक काम करना पड़ा और वे शारीरिक और मानसिक रूप से थक गए जिस वजह से नीट-पीजी काउंसलिंग 2021 में तेजी लाने के लिए 27 नवंबर से आंदोलन करना पड़ा।’’
उसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आंदोलन का समर्थन किया था, जिसका उद्देश्य देश के स्वास्थ्य क्षेत्र का कायाकल्प करना है जो रेजिडेंट डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है।
एफओआरडीए ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक के बाद 31 दिसंबर को आंदोलन वापस ले लिया गया। पत्र के मुताबिक, उन्होंने वादा किया था कि अस्पताल के अधिकारियों द्वारा आंदोलन में हिस्सा लेने वाले किसी भी रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ कोई दंडात्मक या अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
उसने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों ने, खासकर यूसीएमएस और जीटीबी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों को आंदोलन की अवधि के दौरान अनुपस्थित दिखाया गया है और उनका वेतन काट लिया गया है।
भाषा नोमान माधव
माधव शाहिद
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