नई दिल्ली: देश में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर तेज होने के बीच डॉक्टरों के एक संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरकारी अस्पतालों में बढ़ते ‘वीआईपी कल्चर’ पर चिंता जताई है.
प्रधानमंत्री को सोमवार को लिखे पत्र में एसोसिएशन ने कहा कि केंद्र की ओर से संचालित कई सरकारी अस्पतालों में अलग से वीआईपी काउंटर हैं जो केवल राजनेताओं और मंत्रियों का कोविड टेस्ट की सुविधा देते हैं.
इस पत्र, जिसकी प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है, में कहा गया है, ‘लेकिन डॉक्टरों के टेस्ट कराने के लिए कोई अलग काउंटर नहीं है.’
एफएआईएमए अध्यक्ष डॉ. राकेश बागड़ी, उपाध्यक्ष डॉ. अमरनाथ यादव और महासचिव डॉ. सुब्रांकर दत्ता के हस्ताक्षर वाले पत्र में बताया गया है कि कैसे डॉक्टर कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में सबसे आगे हैं और वायरस के टेस्ट में पॉजिटिव आने पर उनके लिए अब तक कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं.
इसमें लिखा गया है, ‘…हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि महामारी से लड़ने में सबसे आगे रहने वाले डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, लेकिन बदले में हमें क्या मिल रहा है, कोविड टेस्ट कराना हो तो लंबी कतारों में खड़े हों, खुद पॉजिटिव हो जाएं तो इलाज के लिए कोई बेड या आईसीयू उपलब्ध नहीं है.’
एसोसिएशन ने कहा कि ‘प्राथमिकता उन राजनेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को मिल रही है जो असल में रैलियों में शामिल होते हैं और वायरस फैलाने का काम करते हैं.’
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अस्पताल का मैनपावर वीआईपी संस्कृति से प्रभावित
एसोसिएशन के मुताबिक, वीआईपी काउंटर होने के बावजूद कई राजनेता चेक-अप और टेस्ट के लिए डॉक्टरों को अपने घर पर बुलाते हैं.
पत्र में लिखा गया है, ‘अधिकांश राजनेताओं की तरफ से डॉक्टरों को अपने आवास पर बुलाया जाता है, जिनके लिए चिकित्सा अधीक्षक का कोई वैधानिक आदेश नहीं होता है लेकिन अनौपचारिक तौर पर ऐसा किया जाता है.’
आगे लिखा गया है कि इसके लिए वे सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों को बुलाते हैं, जो वहां पर पहले से ही कम मेडिकल मैनपावर को और सीमित कर देता है.
ऐसे में, एसोसिएशन ने यह वीआईपी संस्कृति बढ़ने का विरोध किया और पत्र में प्रधानमंत्री से ‘मामले को गंभीरता से देखने’ का आग्रह किया.
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में देश में नए मामलों में काफी उछाल आया है. पिछले 24 घंटों के दौरान भारत में 1,61,736 नए कोविड केस और 879 मौतें दर्ज की गई हैं.
45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण शुरू हो चुका है और अब तक 10,85,33,085 टीके लगाए जा चुके हैं.
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