चेन्नई, 19 फरवरी (भाषा) तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) ने केंद्र द्वारा कथित रूप से ‘हिंदी थोपे जाने’ के खिलाफ अपना प्रदर्शन तेज कर दिया है। पार्टी ने बुधवार को ‘कोलम अभियान’ शुरू किया जिसमें चावल के आटे से सड़कों पर रंगोली बनाकर विरोध दर्ज कराया जाता है।
द्रमुक अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर भारतीदासन की एक कविता पोस्ट की, जिसमें आश्चर्य जताया गया कि अगर हिंदी अनिवार्य है तो क्या हिंदी को खत्म करना उनके लिए अनिवार्य नहीं है।
भारतीदासन (1891-1964) तमिलनाडु के एक प्रसिद्ध कवि थे। स्टालिन ने महिलाओं द्वारा सड़कों पर कोलम (रंगोली) बनाने का एक वीडियो क्लिप भी साझा किया।
द्रमुक और उसके सहयोगियों ने 18 फरवरी को इस मुद्दे पर यहां विरोध प्रदर्शन किया था। द्रमुक युवा मोर्चा के सचिव और उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने केंद्र को चेतावनी दी कि वह राज्य और उसके सहयोगियों पर एक और भाषा थोपने की कोशिश न करे।
द्रमुक के आधिकारिक मुखपत्र ‘मुरासोली’ ने 19 फरवरी 2025 के संपादकीय में द्रमुक के संस्थापक नेता सीएन अन्नादुरई के हिंदी थोपने के खिलाफ दिए गए तर्कों को उद्धृत किया। ‘अन्ना’ के नाम से प्रसिद्ध अन्नादुरई ने कहा था कि यह मुद्दा भाषा का नहीं बल्कि वर्चस्व का है।
द्रमुक के तमिल दैनिक ने संविधान के प्रावधानों, राजभाषा अधिनियम 1963 और राजभाषा नियम 1976 का हवाला देते हुए कहा, ‘इसलिए, हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है… यह केवल राजभाषा है।’ इसके अलावा, द्रविड़ विचारधारा के इस मुखपत्र ने कहा कि हिंदी के साथ अंग्रेजी भी राजभाषा है और हिंदी पर चर्चा करते समय ‘बहुलवादी भारत’ को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
भाषा राखी वैभव
वैभव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.