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Saturday, 27 April, 2024
होमदेशभयावह स्थिति पर दिप्रिंट की रिपोर्ट को DMCH ने 'निराधार' बताया, हमारी रिपोर्टर ने जो देखा वही बयान किया

भयावह स्थिति पर दिप्रिंट की रिपोर्ट को DMCH ने ‘निराधार’ बताया, हमारी रिपोर्टर ने जो देखा वही बयान किया

दिप्रिंट अपनी रिपोर्ट पर कायम है. दरभंगा अस्पताल का आरोप है कि रिपोर्टर ने अधिकारियों के साथ बदसलूकी की. वहां कोई बहस या अप्रिय तर्क-वितर्क नहीं हुआ था.

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नई दिल्ली: बिहार के दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (डीएमसीएच) ने दिप्रिंट की संवाददाता ज्योति यादव की उस रिपोर्ट को आधारहीन बताया है, जिसमें यह कहा गया है कि पूरे उत्तरी बिहार के कोविड मरीजों को किन भयावह परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.

यह रिपोर्ट, जिसका शीर्षक— ‘दरभंगा में कहीं नर्क है तो यहीं है’— उत्तर बिहार के मुख्य अस्पताल DMCH में मरीजों के साथ एक दिन है, मई 2021 को प्रकाशित की गई थी.

डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट ने हिंदी में एक बयान जारी कर रिपोर्ट की आलोचना की और कहा कि उसमें जिस तरह के हालात बताए गए हैं अस्पताल में वैसी स्थिति नहीं है. अधिकारी ने यह भी कहा कि वे विशेष रूप से संवाददाता के खिलाफ भारतीय प्रेस काउंसिल में शिकायत दर्ज कराएंगे. बयान में पदनाम के साथ कोई नाम नहीं दिया गया है.


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डीएमसीएच का पूरा बयान  

संवाददाता ज्योति यादव द्वारा डीएमसीएच कोरोना वार्ड के संदर्भ में बिल्कुल निराधार, भ्रामक एवं गलत सूचना दी गई है. डीएमसीएच इसका खंडन करता है.

इस संदर्भ में उल्लेखनीय है संवाददाता ज्योति यादव डीएमसीएच के कोरोना वार्ड एवं कोरोना आइसोलेशन वार्ड में प्रवेश करना चाहती थीं. कोविड-19 के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत उन्हें उपस्थित चिकित्सकों द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी गई. इसके उपरांत उन्होंने वहां प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों एवं चिकित्सकों से दुर्व्यवहार किया तथा डीएमसीएच के संबंध में गलत एवं भ्रामक सूचना दी. डीएमसीएच इसका खंडन एवं इसकी निंदा करता है.

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इसके लिए डीएमसीएच की ओर से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में संवाददाता ज्योति यादव के विरुद्ध शिकायत भी दर्ज कराई जाएगी.

अधीक्षक,

डीएमसीएच, दरभंगा.

दिप्रिंट की संवाददाता ज्योति यादव का जवाब

डीएमसीएच, दरभंगा के एक वार्ड की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी और इसे देखने के बाद मैंने वहां जाकर यह जानने का फैसला किया कि क्या मरीजों को वास्तव में ऐसी भयावह परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.

मैं सोमवार शाम (17 मई को) पुराने सर्जरी वार्ड भवन पहुंची और पाया कि सोशल मीडिया पर नज़र आ रही तस्वीर पुरानी है. लेकिन हालात तब भी उतने ही भयावह थे. नर्सों और अन्य मेडिकल स्टाफ ने, जो मेरी रिपोर्ट में अपना नाम बताना नहीं चाहते थे, ने तमाम जानकारियां साझा कीं. उन्होंने बताया कि चूंकि तीन नए भवन अब कोविड वार्ड के रूप में काम कर रहे हैं, इसलिए मरीज पुराने सर्जरी वार्ड में तीन-चार दिनों तक इंतजार करते हैं.

सर्जरी भवन के दो इमरजेंसी वार्ड में छह मरीज भर्ती थे, इनमें एक वार्ड में मधुबनी की सुनीता भर्ती थी, जिसे कोविड पॉजिटिव मरीजों के लिए निर्धारित तीन नए वार्डों में से एक में शिफ्ट किया जा रहा था और दूसरे वार्ड में पांच अन्य कोविड मरीज थे.

अगले दिन मैंने डीएमसीएच में सभी तीन कोविड वार्डों का दौरा किया और पाया कि परिवारों को बाहर से दवाओं का इंतजाम करना पड़ रहा है, महिला अटैंडेंट टॉयलेट के लिए सन्नाटे वाले कोने तलाश कर रही थीं क्योंकि अस्पताल के टॉयलेट बेहद गंदे थे और आवारा कुत्तों ने गलियारों में डेरा जमा रखा था, कोविड वार्डों के बाहर सूअर जोर से चिल्ला रहे थे और बत्तियां भी काम नहीं कर रही थीं.

Pigs outside one of the Darbhanga Medical College & Hospital buildings | Photo: Jyoti Yadav | ThePrint
डीएमसीएच की बिल्डिंग के बाहर घूमते सूअर | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

मैंने मंगलवार को इमारतों में पांच डॉक्टरों को देखा लेकिन उनमें से किसी के साथ बातचीत नहीं की और वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था. सुरक्षा गार्डों में से एक ने मुझे वहां का हाल दिखाया और नर्सें इधर-उधर आ जा रही थीं. नर्सों में से एक ने वॉशरूम की सुविधा न होने की त्रासदी भी बताई.

One of the nurses' chambers at DMCH | Photo: Jyoti Yadav | ThePrint
डीएमसीएच में नर्सों का चैंबर | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

मैंने वार्ड नंबर तीन में परेशान परिवार को देखा जिसमें बुरी तरह रोते मनोज कुमार यादव के पिता जैसे मरीज भी थे. मैंने सुरक्षा गार्ड के साथ वार्ड के बाहर इंतजार किया और जूनियर डॉक्टरों के आने और यादव का ऑक्सीजन सिलेंडर ठीक करने में कुछ समय लगा.

गणेश पासवान की मृत्यु के चार घंटे बाद शाम को लगभग 7 बजे उनके बेटे ने शव दिलाने में मदद के लिए मुझसे संपर्क किया और सुरक्षा गार्ड ने एक फोन कॉल करके अधिकारियों को इसके बारे में बताया.

मेरे वार्ड का हाल देखने के बाद डिप्टी डेवलपमेंट कमिश्नर तनय सुल्तानिया, जो ग्रामीण विकास योजनाओं पर अमल के मामले के प्रभारी अधिकारी है, ने डॉक्टरों और नर्सों के बारे में आधिकारिक आंकड़ों के लिए मेरा मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख यू.सी. झा से संपर्क कराया. मैंने झा और डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट मणि भूषण से बात की, जिन्होंने इसके लिए अधिकृत नहीं होने के कारण टिप्पणी से इनकार कर दिया.

डीएमसीएच का यह आरोप कि मैंने डॉक्टरों और अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया, पूरी तरह से निराधार है. मैं केवल डीडीसी तनय सुल्तानिया और जिला मजिस्ट्रेट त्यागराजन एस.एम. से मिली और डीएमसीएच अधिकारियों और डॉक्टरों से सिर्फ फोन पर बात की थी और टेलीफोन पर हुई बातचीत सौहार्दपूर्ण थी. निष्पक्षता से कहूं तो किसी ने भी मुझे वहां जाने से रोकने की कोशिश नहीं की थी. इसलिए, किसी बहस या अप्रिय तर्क-वितर्क की स्थिति नहीं आई थी.

मुझे उम्मीद है कि डीएमसीएच इस रिपोर्ट को माननीय प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के सामने रखेगा. उम्मीद है कि तब पीसीआई दरभंगा में एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम भेज सकता है और तथ्यों को खुद ही देख सकता है.


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