scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशडीएमसी रिपोर्ट: दिल्ली दंगों में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा में हुआ 'गदर' फ़िल्म का ज़िक्र, हिंदू धार्मिक स्थल रहे सुरक्षित

डीएमसी रिपोर्ट: दिल्ली दंगों में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा में हुआ ‘गदर’ फ़िल्म का ज़िक्र, हिंदू धार्मिक स्थल रहे सुरक्षित

डीएमसी की 130 पेज वाली रिपोर्ट में 'महिलाओं और बच्चों' से जुड़ा एक भाग है. इसी भाग में एक महिला के हवाले से कहा गया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के दौरान बंटवारे पर आधारित फ़िल्म 'गदर' का इस्तेमाल किया गया.

Text Size:

नई दिल्ली: दिल्ली दंगों पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) द्वारा गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के दौरान दंगाई भीड़ ने 2001 में आई फ़िल्म ‘ग़दर’ से जुड़ा ज़िक्र किया. पुलिस वालों पर भी महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के गंभीर आरोप हैं. रिपोर्ट में ये बात भी निकलकर सामने आई है कि हिंसा के दौरान किसी भी हिंदू धार्मिक स्थल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

फ़रवरी के अंत में हुए दिल्ली दंगों को लेकर इस ‘फैक्ट फाइंडिंग कमेटी’ का गठन 9 मार्च को हुआ था. बृहस्पितवार को जारी की गई 130 पेज वाली कमेटी की इस रिपोर्ट में ‘महिलाओं और बच्चों’ से जुड़ा एक भाग है. इसी भाग में एक महिला के हवाले से कहा गया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के दौरान बंटवारे पर आधारित फ़िल्म ‘गदर’ से जुड़े ज़िक्र का इस्तेमाल किया गया.

इस फ़िल्म के ज़िक्र के बारे में हमले का शिकार हुई एक महिला ने कमेटी से कहा, ‘दंगाईयों के पास लाठी और तलवार जैस तमाम हथियार थे. वो ‘जय श्री राम’ और ‘मुल्लों को मारो’ जैसे नारे लगा रहे थे. महिलाओं पर दंगाई चीख़ रहे थे और कह रहे थे, ‘बहुत सी सकीनाएं आज पकड़ी जाएंगी.”

फिल्म ‘गदर’ में सकीना की भूमिका अमीषा पटेल ने निभाई थी. सकीना के पिता का किरदार अमरीश पुरी ने निभाया था जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चले जाते हैं लेकिन उनकी बेटी भारत में फंस जाती है.

दिल्ली दंगे की फ़ाइल फ़ोटो. तस्वीर दिप्रिंट की प्रवीण जैन ने ली है

रिपोर्ट के इसी भाग में यौन हिंसा और लिंग आधारित हिंसा से जुड़े हिस्से में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए इन दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं. चांद बाग़ धरने में शामिल हिंसा का शिकार हुई एक महिला ने कमेटी से कहा, ‘दिल्ली पुलिस ने हमारे ऊपर बेरहमी से हमला किया और महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा भी की. पुलिस वाले अपनी पैंट उतारकर महिलाओं को अपना गुप्तांग दिखाने लगे और कहा, ‘तुम्हें आज़ादी चाहिए, ये लो आज़ादी.’


यह भी पढ़ें: दिल्ली दंगे में मारे गए 44 लोगों में अधिकतर की उम्र 34 या उससे कम, इनमें दो नाबालिग भी


रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा के दौरान गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख़्शा गया. दिल्ली पुलिस पर गर्भवती महिलाओं के ख़िलाफ़ भी गंभीर हिंसा के आरोप हैं. दंगे के दौरान तमाम तरह के हमालों में एसिड के इस्तेमाल का भी ज़िक्र है. महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के दौरान भी एसिड के इस्तेमाल का कई जगहों पर ज़िक्र है.

रिपोर्ट के मुताबिक कई महिलाओं का बुर्का भी छीन लिया गया. महिलाओं ने कमेटी से कहा, ‘बुर्का छीने जाने की घटनाओं को लेकर हमें ऐसा महसूस हुआ कि हमारे साथ ऐसा महिला होने के बजाए मुसलमान होने की वजह से हुआ.’

ना सिर्फ़ महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा बल्कि कमेटी के मुताबिक 23 से 27 फ़रवरी तक हुए इन दंगों में दिल्ली पुलिस की पूरी भूमिका गंभीर सवालों के घेरे में है.

कमेटी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि 23 फ़रवरी को जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कपिल मिश्रा ने मौजपुर के पास ‘भड़काऊ’ भाषण दिया था तो उनके साथ पूर्वोत्तर दिल्ली के डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या दंगों से बचाव वाले उपकरण (रायट गियर) पहने खड़े थे. इन सब का हवाला देते हुए कमेटी ने इन दंगों को सुनियोजित और लक्षित करार दिया.

दिल्ली पुलिस पर लगे आरोपों पर दिप्रिंट ने दिल्ली पुलिस प्रवक्ता डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस एमएस रंधावा को फ़ोन, मैसेज और मेल के ज़रिए संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया. जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

दिल्ली दंगे की फ़ाइल फ़ोटो तस्वीर दिप्रिंट की मनीष मोंडल ने ली है

कमेटी के मुताबिक दंगे इसलिए भी सुनियोजित थे क्योंकि लक्षित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के मकानों, दुकानों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. रिपोर्ट में धार्मिक स्थल से जुड़े एक हिस्से में बताया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कम से 17 धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. इनमें से कई धार्मिक स्थलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया. जिन धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया उनमें ना सिर्फ़ मस्जिद बल्कि मदरसे और कब्रिस्तान भी शामिल हैं. हालांकि, कमेटी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू धार्मिक स्थल के जस के तस होने की बात कही है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कमेटी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थित कई हिंदू मंदिरों का दौरा किया और वहां के पुजारी और वहां रहने वाले लोगों से बात की. हालांकि, इन इलाकों में बहुत ज़्यादा मंदिर नहीं हैं. लेकिन कमेटी ने पाया कि जो भी (मंदिर) हैं वो जस के तस हैं.’ कमेटी ने ऐसे सात मंदिर की तस्वीर पेश है. तस्वीर में सभी सातों मंदिर अपनी जगह पर जस के तस नज़र आ रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 12 दिसंबर को पास हुए नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) बाद देश भर में इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गए. इन प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ दिल्ली चुनाव के दौरान कई भाजपा नेताओं ने बेहद भड़काऊ भाषण दिए.


यह भी पढ़ें: दिल्ली के हिंदू-मुस्लिम दंगों की जड़ क्यों सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से जुड़ी हुई है


रिपोर्ट में भड़काऊ भाषण देने वालों में गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह, भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा और भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या के नाम शामिल है. ये तमाम भाषण दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए थे. कमेटी का कहना है कि इसी सिलेसिले में 23 फ़रवरी की शाम में भाजपा नेता कपिल मिश्रा के बयान के बाद हिंसा भड़की. रिपोर्ट में अंत की तरफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का भी ज़िक्र है.

मुस्तफ़ाबाद में दो भाईयों आमिर (30) और हाशिम (19) का ज़िक्र करते हुए कहा गया है, ‘अजीत डोभाल द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद दो भाई घर लौट रहे थे. इस दौरान उनकी हत्या हो गई. उनके शरीर और जली हुई मोटरसाइकल नाले से मिली.’ 23 फ़रवरी को शुरू हुए इन दंगों के सिलसिले में डोभाल ने 26 फरवरी को प्रभावित इलाकों का दौरा किया था.

share & View comments