नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) बाबा नागार्जुन नाम से प्रसिद्ध हिंदी व मैथिली कवि विद्यानाथ शुक्ला पर यहां राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में मिथिला महोत्सव के दौरान परिचर्चा का आयोजन किया गया।
मैथिल पत्रकार ग्रुप, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और मैथिली-भोजपुरी अकादमी के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकारों, पत्रकारों और राजनीतिक नेताओं ने बाबा नागार्जुन की साहित्यिक धरोहर और समाज में उनके योगदान पर अपने विचार साझा किए।
पत्रकार और मैथिल पत्रकार संघ के अध्यक्ष संतोष ठाकुर ने रविवार को जारी एक बयान में बताया कि बाबा नागार्जुन का साहित्य विशेष रूप से समाज के विभिन्न पहलुओं, खासकर पिछड़े और दबे-कुचले वर्गों की समस्याओं पर केंद्रित था तथा उनकी कविताओं और रचनाओं में समाज की गहरी संवेदनाएं और सशक्त आवाज़ सुनाई देती है।
उन्होंने बताया कि नागार्जुन ने अपने लेखन के माध्यम से न केवल समाज के शोषित वर्ग की पीड़ा को उजागर किया, बल्कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए भी आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा कि उनका काव्य संसार आम आदमी की जिंदगी, उसकी परेशानियों, संघर्षों, उम्मीदों और उसके सपनों से गहरे रूप में जुड़ा हुआ है।
विज्ञप्ति के मुताबिक, कार्यक्रम के दौरान साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त महेंद्र मलांगिया और मैथिली भोजपुरी अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष नीरज पाठक को भी सम्मानित किया गया तथा रौशन झा द्वारा लिखित और प्रकाश झा द्वारा निर्देशित बाबा नागार्जुन की जीवनी पर आधारित नाटक का मंचन भी हुआ।
नागार्जुन का जन्म बिहार के दरभंगा जिले में 11 जून 1911 में हुआ था तथा पांच नवंबर 1998 को 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।
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